'पाकिस्तान की संप्रभुता का घोर उल्लंघन'
२८ नवम्बर २०११पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल अशफाक परवेज कियानी ने नाटो सेनाओं की कार्रवाई को अस्वीकार्य बताया. सेना ने एक बयान जारी कर कहा कि बिना किसी उकसावे की कार्रवाई के नाटो के हैलीकॉप्टरों और लड़ाकू विमानों ने हमला किया, जिसमें 24 जवानों की मौत हो गई और 13 घायल हो गए. पाकिस्तान की सेना ने आत्मरक्षा में हमले के वक्त मौजूद हथियारों से इसका जवाब देने की कोशिश की.
हमले से पाकिस्तान इस कदर नाराज है कि उसने नाटो सेनाओं की सप्लाई बंद कर दी है. 40 ट्रकों और टैंकरों के काफिले को पाक-अफगान सीमा से पहले ही रोक दिया गया है. हमला शुक्रवार देर रात करीब दो बजे हुआ. नाटो सेनाओं के हैलीकॉप्टरों और लड़ाकू विमानों ने मोहमंद में पाकिस्तानी सेना की दो चौकियों पर हमला किया. दोनों चौकियां 1,000 फुट की दूरी पर थीं. एक चौकी पर दो बार हमला किया गया. मृतकों में सेना के दो अधिकारी भी हैं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने शनिवार रात को सेनाध्यक्ष समेत सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपात बैठक भी की. इससे पहले गिलानी ने इस्लामाबाद में तैनात अमेरिकी दूत कैमरन मंटर को तलब किया और विरोध जताया. विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर घटना को 'पाकिस्तान की संप्रभुता को घोर उल्लंघन' करार दिया. पाकिस्तान ने वॉशिंगटन और नाटो के मुख्यालय ब्रसेल्स में भी विरोध दर्ज कराया.
पाकिस्तान और अमेरिका के संबंध बीते एक साल से तनावपूर्ण चल रहे हैं. इस हमले ने दोनों देशों के अधिकारियों को नई मुश्किल में डाल दिया है. नाटो के अधिकारियों का कहना है कि घटना की जांच की जा रही है. नाटो और अमेरिकी सेना के सर्वोच्च कमांडर जनरल जॉन एलेन ने कहा, "अपने प्रियजनों को खोने वाले पाकिस्तानी सैनिकों के परिवारों के प्रति मेरी गहरी और व्यक्तिगत सांत्वना है."
आधिकारिक तौर पर भले ही स्पष्ट चेतावनी न दी गई हो लेकिन नाम न बताने की शर्त पर पाकिस्तानी सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमारी पोस्ट पर नाटो के ताजा हमले के गंभीर अप्रत्यक्ष परिणाम होंगे. उन्होंने बिना किसी कारण हमारी पोस्ट पर हमला किया और सोए हुए जवानों को मारा."
इसी साल जनवरी में पाकिस्तान में अमेरिकी जासूस रेमंड डेविस को गिरफ्तार किया गया. डेविस को कई दिनों तक हिरासत में रखने के बाद रिहा किया गया. डेविस की वजह से दोनों देशों के बीच गहरे मतभेद हुए. इसके बाद मई में अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में घुसकर अलकायदा सरगना ओसाम बिन लादेन को मार दिया. अमेरिका ने पाकिस्तान को इस कार्रवाई की भनक तक नहीं लगने दी. बाद में ऐसी भी रिपोर्टें आईं कि पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी के कुछ लोग बिन लादेन के बारे में जानते थे और दुनिया का गुमराह कर रहे थे. एबटाबाद ऑपरेशन के बाद दोनों देशों के मतभेद खुलकर सामने आ गए.
अमेरिकी अधिकारी आरोप लगाते हैं कि अफगान सीमा से सटे पाकिस्तानी इलाकों में आतंकवादी अड्डा बनाए हुए हैं. आतंकवादी अफगानिस्तान में हमला कर वापस भाग जाते हैं. नाटो को पाकिस्तान की सीमा में घुसकर हमला करने की अनुमति नहीं है. लेकिन कई बार ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जब गठबंधन सेनाएं अफगानिस्तान के भीतर से ही पाक सीमा से सटे इलाकों पर हमले करती हैं.
अमेरिकी अधिकारियों का यह भी आरोप है कि पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों को मदद पहुंचाती है या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती है या फिर आतंकवादी पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. सीमा को लेकर वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. अमेरिका 2014 के अंत तक अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुलाना चाहता है.
रिपोर्ट: एपी/ओ सिंह
संपादन: एन रंजन