पाकिस्तान को बहुलवादी बताया
३१ अक्टूबर २०१२पाकिस्तान के विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर के इस बयान से लेकिन पश्चिमी देश सहमत नहीं हैं. पश्चिमी देशों और आम तौर पर उनका विरोध करने वाले बेलारूस का कहना है कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन हो रहा है और सेना विरोध को अक्सर बर्बरता से कुचल देती है. इसके अलावा उनका यह भी आरोप है कि मानव तस्करी को रोकने के लिए पाकिस्तान ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं.
विदेशमंत्री खर ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कहा कि पाकिस्तान "एक लोकतांत्रिक, बहुलवादी और प्रगतिशील राज्य" है जो "समानता, विविधता के सम्मान और न्याय" पर आधारित निष्पक्ष समाज बनाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा, "आज पाकिस्तान काम करने वाला लोकतंत्र है, जहां निर्वाचित और सार्वभौम संसद, स्वतंत्र न्यायपालिका, मुक्त मीडिया और जीवंत नागरिक समाज है."
पाकिस्तान की विदेश मंत्री परिषद में अपने मुस्लिम बहुल देश के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर रिपोर्ट पेश कर रहीं थीं. यूनिवर्सल पिरियोडिक रिव्यू की प्रक्रिया के तहत विश्व संस्था के सभी सदस्य देश को हर चार साल पर मानवाधिकारों की स्थिति पर रिपोर्ट देनी पड़ती है. 2006 में परिषद के गठन के बाद पाकिस्तान की यह दूसरी रिपोर्ट है. यह रिपोर्ट ऐसे समय में पेश की जा रही है जब शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ रही मलाला युसूफजई को तालिबान कार्यकर्ताओं द्वारा गोली मारे जाने और ईसाईयों के खिलाफ दंगों के बाद सारी दुनिया की निगाहें पाकिस्तान पर हैं.
दो सप्ताह बाद मानवाधिकार परिषद के चुनाव होने वाले हैं और पाकिस्तान को उम्मीद है कि एशियाई देशों के उम्मीदवार के रूप में उसे परिषद का पूर्ण सदस्य चुन लिया जाएगा. वह 56 देशों वाले इस्लामी सहयोग परिषद के प्रतिनिधि के रूप में पहले से ही परिषद में सक्रिय है. कुछ पश्चिमी देशों ने पहले ही संकेत दिया है कि वे पाकिस्तान को मुनासिब उम्मीदवार नहीं मानते. लेकिन अंतिम फैसला 12 नवम्बर को महासभा में बहुमत से होगा.
अमेरिकी राजदूत आयलीन डोनेहो ने विद्रोही प्रांत बलूचिस्तान में विरोध को दबाने के लिए सेना की कार्रवाई की ओर इशारा करते हुए मानवाधिकार परिषद में कहा, "हमें पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर गंभीर चिंता है." उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यातना देने, गायब करने और गैरकानूनी हत्या के दोषियों को सजा दी जाए और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव को उचित ठहराने वाले कानूनों को बदला जाए.
अमेरिकी राजदूत की टिप्पणियां पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून के खिलाफ थीं जिसके तहत इस्लाम या खासकर पैगम्बर मुहम्मद के कथित अपमान के लिए मौत तक की सजा दी जा सकती है. ब्रिटेन के एक प्रतिनिधि ने परिषद से कहा कि एक ईसाई किशोरी का मामला, जिस पर इमाम ने कुरान के पन्नों को जलाने का आरोप लगाया था, पाकिस्तान में सामान्य लोगों और सुन्नी समुदाय के बाहर के मुसलमानों के लिए इस कानून के खतरे दिखाता है.
अमेरिका और ब्रिटेन की तरह स्वीडन, स्विट्जरलैंड और दूसरे यूरोपीय देशों ने भी पाकिस्तान की आलोचना की. संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं में विकासशील देशों का पक्ष लेने वाले बेलारूस ने और कड़ा रुख अपनाया. पूर्व सोवियत गणराज्य के प्रतिनिधि ने कहा कि पाकिस्तान में जबरी मजदूरी आम बात है और बच्चों को सजा के तौर पर पीटना भी कानूनी है. खुद मानवाधिकारों के हनन के आरोपों का सामना करने वाले बेलारूस ने कहा कि पाकिस्तान को औरतों और बच्चों की तस्करी रोकने और बच्चों के यौन शोषण को रोकने के प्रयासों में तेजी लानी चाहिए.
एमजे/एएम (रॉयटर्स)