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पाकिस्तान ने रक्षा बजट 11 फीसदी बढ़ाया

४ जून २०११

पाकिस्तान ने अपने रक्षा बजट में 11 फीसदी का इजाफा किया है. इसके साथ ही पाकिस्तान 2011-12 में रक्षा पर 495 अरब रुपये खर्च करेगा. सरकार का कहना है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए रक्षा बजट में इजाफा करना जरूरी हो गया है.

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Hand counting money, closeup on blue background with reflections
तस्वीर: Fotolia

अगले वित्तीय वर्ष के लिए पाकिस्तान का बजट 2,504 अरब रुपये है. 2011-12 में बजट घाटा 850 अरब रुपये होगा, यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का चार फीसदी है. सरकार ने रक्षा बजट के साथ रिटायर हो चुके सरकारी कर्मचारियों के लिए भी पेंशन बढ़ाई है. रक्षा बजट में 11 फीसदी इजाफे का एलान करते हुए वित्त मंत्री अब्दुल हाफिज शेख ने कहा, "हम अपने साहसी लोगों के साथ खड़े हैं जो देश की हिफाजत के लिए अपनी जान हथेली पर रखते हैं. देश लगातार सुरक्षा के मोर्चे पर जूझ रहा है." पाकिस्तान का रक्षा बजट अब 5.7 अरब डॉलर होगा. भारत का रक्षा बजट 36.03 अरब डॉलर है. पाकिस्तान के बजट में खुफिया एजेंसी आईएसआई को दिए जाने वाली रकम का जिक्र नहीं होता है.

टैक्स चोरों पर ध्यान

बम धमाकों और आत्मघाती हमलों के चलते पाकिस्तान में जुलाई 2007 से अब तक 4,410 लोग मारे जा चुके हैं. पाकिस्तानी तालिबान ने पाकिस्तानी सरकार और सेना पर हमले भी बढ़ा दिए हैं. पिछले महीने अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों की बाढ़ सी आ गई है.

बजट में सरकारी कर्मचारियों को भी फायदा दिया गया है. पेंशन को 20 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है. सरकार का वादा है कि 23 लाख लोगों को पहली बार टैक्स के दायरे में लाया जाएगा. टैक्स के मुद्दे पर पाकिस्तान पर लंबे वक्त से पश्चिमी देशों का दबाव है. देश में सिर्फ एक फीसदी लोग ही टैक्स देते हैं. भ्रष्टाचार से जूझते देश पर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में पैसा खर्च करने का दबाव भी है. पिछले साल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को दिया जाने वाला 11.3 अरब डॉलर का आर्थिक पैकेज रोक दिया. आईएमएफ के मुताबिक पाकिस्तान में टैक्स और अन्य बुनियादी सुधार नहीं होने की वजह से यह रकम रोकी गई.

अमेरिका का दबाव

अमेरिका भी पाकिस्तान को अरबों डॉलर की मदद देता है. पश्चिमी देशों का आरोप है कि पाकिस्तान के रईसों को अपने खर्चे कम कर जनता पर ध्यान देना चाहिए. आरोप हैं कि पिछले साल आई बाढ़ के हजारों पीड़ितों तक अब भी आर्थित राहत नहीं पहुंच पाई है. पाकिस्तान में वित्तीय वर्ष एक जुलाई से 30 जून तक होता है.

अमेरिका पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का दबाव बनाए हुए है. हाल ही में इस्लामाबाद गईं अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भी पाकिस्तान को इस बात की याद दिला चुकी है. लेकिन इस रुख से पाकिस्तान सरकार को मुश्किल हो रही है. नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग एन समेत विपक्षी पार्टियां सरकार पर अमेरिका के इशारों पर नाचने का आरोप लगा रही हैं. वित्त मंत्री के बजट पेश करने के दौरान पीएमएलएन ने सदन में "हमें अमेरिका की गुलामी मंजूर नहीं, पाकिस्तान में अमेरिकी दखल बंद करो" के नारे लगाए गए.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ईशा भाटिया

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