'पाकिस्तान में धर्मनिरपेक्षता मरने वाली है'
११ जनवरी २०११पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के बाद पाकिस्तान में यह बात जोर पकड़ रही है कि वहां धर्मनिरपेक्षता खत्म हो रही है. तासीर एक उदार, धर्मनिरपेक्ष मुस्लिम नेता थे. उन्हें उनके ही अंगरक्षक ने इसलिए गोली मार दी क्योंकि वह देश के बेहद कड़े ईशनिंदा कानून के खिलाफ बात करते थे.
तासीर की हत्या ने देश और विदेशों में रहने वाले उदार पाकिस्तानियों को बड़ा सदमा पहुंचाया है. लेकिन उससे ज्यादा परेशानी की बात तासीर के हत्यारे मलिक मुमताज हुसैन कादरी को मिला जबर्दस्त समर्थन है.
विश्लेषक मानते हैं कि यह घटना धर्मनिरपेक्ष और उदार आवाजों के लिए खतरनाक हो सकती है. इससे धार्मिक दलों और उनके आतंकवादी समर्थकों की पाकिस्तान की राजनीति में जगह बढ़ेगी. राजनीतिक विश्लेषक हसन अस्करी रिजवी कहते हैं, "पिछले 20-25 साल में पाकिस्तानी समाज का झुकाव धार्मिक आतंकवाद की ओर बढ़ा है. अमेरिका विरोधी भावना बहुत मजबूत है क्योंकि लोग इसी मानसिकता के साथ बड़े होते हैं."
रिजवी कहते हैं कि आने वाला पूरा दशक पाकिस्तान के लिए बेहद मुश्किल साबित होगा क्योंकि 1980 के दशक में पैदा हुई पीढ़ी धार्मिक कट्टरवाद के साथ बड़ी हुई है. उन्हें स्कूलों और मस्जिदों में जो सिखाया गया है उससे उनकी सोच पर कट्टरता हावी हो चुकी है और आने वाले दशक में ताकत उसी के पास होगी.
कादरी ने तासीर को 27 गोलियां मारीं और उसके बाद आत्मसमर्पण कर दिया. इसके फौरन बाद कई आतंकवादी संगठनों ने उसे एक हीरो बताकर उसका समर्थन किया. सैकड़ों वकील उसका मुकदमा मुफ्त में लड़ने को तैयार हो गए. अदालत में उसका स्वागत गुलाब के फूलों से हुआ. फेसबुक और ट्विटर पर ऐसे नौजवान भी कादरी का समर्थन कर रहे थे जो माइली साइरस और जस्टिन बीबर जैसे पॉप सिंगर्स के फैन हैं.
आमतौर पर उदार माने जाने वाले एक धार्मिक संप्रदाय के 500 धार्मिक विद्वानों ने तासीर को कत्ल को जायज करार दे दिया और चेतावनी जारी की कि तासीर की हत्या का मातम मनाने वालों के साथ ऐसा ही सलूक किया जाएगा. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने तासीर की हत्या के बाद कहा, "पाकिस्तान में कुछ वक्त से अतिवाद बढ़ रहा है और यह चिंता की बात है. हम साफ कर देना चाहते हैं कि राजनीतिक हिंसा पाकिस्तान की सरकार के लिए खतरा है. तासीर की हत्या इसकी ताजा मिसाल है."
देश में यह भावना घर कर रही है कि तासीर तो उस सूची में पहला नाम साबित हो सकते हैं, जो कट्टरता का विरोध करते हैं. ईशनिंदा कानून के लिए संसद में प्रस्ताव लाने वालीं पूर्व सूचना मंत्री शैरी रहमान भूमिगत हो गई हैं. देश के गृह मंत्री का कहना है कि वह मुल्क छोड़ गई हैं.
पाकिस्तान के ये हालात अमेरिका के लिए अच्छी खबर नहीं है. हालांकि उसकी पूरी उम्मीद उस बहुसंख्यक जनता पर टिकी हुई है जो फिलहाल खामोश है. लेकिन जिस तरह तासीर के कत्ल का जश्न मनाया गया, उससे मुल्क में उदार और धर्मनिरपेक्ष माहौल का सपना देखने वाले पूरी तरह निराश हो गए हैं. पत्रकार मुशर्रफ जैदी कहते हैं, "पाकिस्तान में खुदा को दोबारा स्थापित करना, अल्लाह और मोहम्मद को वापस लाना ही देश का एकमात्र प्रोजेक्ट हो गया है. पाकिस्तान के सामने इस वक्त यह सबसे बड़ी चुनौती है और मुझे डर है कि देश इसके सामने हार जाएगा." पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी के उप सचिव साजिद अनवर कहते हैं कि मुल्क में धर्मनिरपेक्षता का भविष्य ही नहीं है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एस गौड़