कादरी ने तासीर की हत्या का जुर्म कबूला
१० जनवरी २०११पुलिस कमांडो मलिक मुमताज हुसैन कादरी ने मंगलवार को इस्लामाबाद में एक कॉफी हाउस के सामने तासीर की अंधाधुंध गोलियां बरसा कर हत्या कर दी. अपना जुर्म कबूलने के बाद कादरी को मंगलवार को अदालत में पेश किया गया. कादरी ने कहा कि उसने धर्म के नाम पर तासीर की हत्या की है. सत्ताधारी पार्टी पीपीपी के नेता तासीर बेहद उदारवादी ख्यालों के थे और वह पाकिस्तान के विवादास्पद ईशनिंदा कानून में बदलाव की मांग करते थे. वह इस कानून के तहत हाल ही में मौत की सजा पाने वाली ईसाई महिला आसिया बीबी की रिहाई भी चाहते थे.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हारून जोया ने बताया, "उसने अपना इकबालिया जुर्म रिकॉर्ड करा दिया है. इसमें उसने सलमान तासीर को मारने की बात कबूली है. यह काम उसने खुद ही किया और इसमें किसी अन्य व्यक्ति या संगठन का हाथ नहीं है." पीपीपी के नेता तासीर की हत्या को एक बड़ी साजिश का हिस्सा बताते रहे हैं. साथ ही वे तासीर की हत्या के लिए सुरक्षा चूकों का भी हवाला देते हैं. वैसे सवाल यह भी उठता है कि किसी अन्य पुलिसकर्मी ने तासीर के सुरक्षा गार्ड 26 वर्षीय कादरी को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की.
यूट्यूब वेबसाइट पर जारी एक वीडियो में कादरी को एक टीवी रिपोर्टर से कहते हुए दिखाया गया है कि उसने ईशनिंदा कानून को लेकर तासीर की हत्या की. इस वीडियो में हत्या के बाद कादरी को पुलिस थाने में बैठा दिखाया गया है. इसमें कादरी कहता है, "हां हां. ईशनिंदा करने वालों के लिए मौत ही सजा है."
कादरी को मंगलवार को अदालत में पेश नहीं किया जाना था लेकिन अधिकारी उसे रावलपिंडी की अदालत में लेकर आए. सोमवार को ही कादरी ने अपना जुर्म कबूला. बचाव पक्ष के वकील मलिक वहीद अंजुम ने कहा, "हम में से कोई भी वकील अदालत की कार्यवाही में शामिल नहीं हुआ क्योंकि हमें इसके बारे में पता ही नहीं था." वहीं जोया का कहना है, "हमने बचाव पक्ष को कोई धोखा नहीं दिया है. हमने कानून के मुताबिक ही कादरी को अदालत में पेश किया." मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को रखी गई है.
तासीर की हत्या पर पाकिस्तान में मिलीजुली प्रतिक्रिया हुई. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जहां इसकी आलोचना की, वहीं बहुत से कट्टरपंथी गुटों ने कादीर को नायक के तौर पर पेश किया और तासीर की हत्या की आलोचना करने वालों को खबरदार किया. कराची में रविवार को लगभग 50 हजार लोगों ने कादरी के समर्थन में प्रदर्शन किया और ईशनिंदा कानून में किसी तरह के बदलाव का विरोध किया.
पिछली बार जब कादरी को अदालत में पेश किया गया तो फूलों से उसका स्वगत हुआ. रावलपिंडी की अदालत में इस कदर भीड़ जमा हो गई कि सुनवाई को इस्लामाबाद ट्रांसफर करना पड़ा. वकीलों के बीच कादरी का केस लड़ने के लिए होड़ भी मच गई. 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद तासीर इस्लामी चरमपंथ का शिकार होने वाले सबसे बड़े नेता हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार