पाकिस्तान में लादेन के छिपने की जगह जमींदोज
२६ फ़रवरी २०१२यह वही इमारत है जहां अमेरिकी सेना के कमांडो रात के अंधेरे में बिना किसी को इत्तिला किए आए, लादेन को मारा और फिर उसका शव लेकर वापस लौट गए. रात का अंधेरा छंटने के साथ ही दुनिया भर की मीडिया के लिए अगले कई हफ्तों का मसाला मिल गया था. पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने शनिवार शाम इसे गिराने की कार्रवाई शुरू की. बुलडोजरों की मदद से पूरी रात तोड़ फोड़ चलती रही और रविवार को दिन में भी.
चश्मदीदों के मुताबिक आस पास के पूरे इलाके को पुलिस ने घेर लिया है और पत्रकारों समेत किसी के भी आने जाने पर रोक लगा दी गई. पत्रकारों से साफ कह दिया गया कि वो यहां की तस्वीरें न लें. समाचार एजेंसी एएफपी के एक पत्रकारर ने बताया कि उसने खाली कमरे, अलमारियां और एक कुर्सी परिसर में देखी है. एक और पत्रकार ने बताया कि आधी से ज्यादा इमारत गिरा दी गई है. इस काम के लिए चार बुलडोजर लगाए गए हैं. कंक्रीट और इंट से बनी इमारत को जमींदोज किया जा रहा है.
इमारत तोड़ने का काम सुरक्षा बलों के जवान कर रहे है जबकि 500 पुलिसकर्मियों ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर रखी है. मौके पर मौजूद एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "सुरक्षा बलों और सेना द्वारा इमारत तोड़ने का काम पूरी रात चलता रहा. लोहे और कंक्रीट से बनी इमारत काफी मजबूत थी इसलिए इसे तोड़ने में काफी वक्त लगा."
लादेन को मारे जाने के बाद से ही यह परिसर सुरक्षा बलों के कब्जे में था. लादेन यहां अपनी तीन बीवियों, 9 बच्चों और पोते पोतियों के साथ कई सालों से रह रहा था. अमेरिकी सेना ने उसे मारने के बाद समुद्र में दफन किया जिससे कि 11 सितंबर को न्यूयॉर्क पर हुए हमले के मास्टरमाइंड की कब्र का कोई स्मारक न बनवा सके.
हालांकि बिन लादेन की मौत के बाद एबटाबाद की इस इमारत को देखने के लिए हर रोज सैकड़ों लोग पहुंचने लगे थे. अधिकारियों के मन में यह डर बनने लगा था कि कहीं लादेन के छिपने की यह जगह दरगाह या किसी पर्यटन स्थल की शक्ल न ले ले. इसीलिए सेना ने इसे गिराने का फैसला किया. हालांकि अभी तक इमारत को तोड़ने के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
आस पास रहने वाले लोगों का कहना है कि रात भर मशीनों के चलने और तोड़फोड़ की आवाजें आती रही. लोग अपने मकानों की छत पर खड़े हो कर, क्या हो रहा है देखने के लिए ताकाझांकी करते रहे. आस पास रहने वाले लोग कह रहे हैं कि यहां इस जमीन पर एक स्कूल बनवा देना चाहिए जबकि एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा, "अच्छा विचार तो यह है कि यहां सब्जियां उगाई जाए." नाम जाहिर न करने की शर्त पर इस अधिकारी ने बताया, "भविष्य में इस जमीन का क्या इस्तेमाल होगा इस पर सरकार को फैसला करने में थोड़ा वक्त लगेगा. प्रांतीय सरकार ने हमसे अनुरोध किया था कि परिसर को साफ कर दिया जाए नहीं तो भविष्य में दिक्कत हो सकती है."
पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी कबायली इलाके के पूर्व सुरक्षा प्रमुख महमदू शाह ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "जो लोग आतंकवादियों से सहानुभूति रखते हैं उनके लिए यह परिसर दरगाह बनने की काबिलियत रखता है. यही वजह है कि इसे गिराया जा रहा है."
एबटाबाद पाकिस्तान के लिए फौजियों का शहर है. लादेन के छिपने की जगह से कुछ ही दूरी पर पाकिस्तान की विशाल मिलिट्री एकेडमी है. यहां अमेरिकी सेना के हमले ने पाकिस्तान की सरकार और सेना को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया. यह सवाल अब भी उठते हैं कि यह कैसे मुमकिन हुआ कि लादेन सालों से यहां घर बना कर परिवार समेत रहता रहा और सेना या सरकार को इसकी भनक तक नहीं लगी. पाकिस्तान ने इस मामले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग बनाया है.
रिपोर्टः एएफपी, डीपीए/ एन रंजन
संपादनः महेश झा