पाकिस्तान में स्टार्टफोर मेल पर विवाद बढ़ा
२९ फ़रवरी २०१२पाकिस्तान में जानकारों का कहना है कि इस बात को पक्के तौर पर न तो सच करार दिया जा सकता है और न ही झुठलाया जा सकता है. कराची में जुल्फिकार अली भुट्टो साइंस एंड टेक्नोलॉजी के डॉक्टर रियाज अहमद शेख ने डॉयचे वेले से कहा कि हो सकता है कि सेना के कुछ रिटायर्ड अफसरों को ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में रहने के बारे में जानकारी हो.
उन्होंने कहा, "तीन साल पहले मुंबई में आतंकवादी हमलों के फौरन बाद पाकिस्तान ने इससे इनकार किया था. लेकिन अब यह बात साफ हो गई है कि जिन लोगों ने हमला किया था, उनके पाकिस्तान से संबंध रहे हैं."
अमेरिका के थिंक टैंक स्टार्टफोर की ईमेल में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के कुछ अधिकारियों को इस बात की जानकारी थी कि अल कायदा का मुखिया ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में रह रहा है. विकीलीक्स ने इससे जुड़े दस्तावेज सोमवार को जारी कर दिए. इसके बाद से विवाद बढ़ता जा रहा है. हालांकि स्टार्टफोर ने यह भी कहा है कि वह ईमेल की सत्यता को लेकर कुछ नहीं कहेगा.
मई, 2011 में अमेरिकी सेना की एक खास टुकड़ी ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से सटे एबटाबाद शहर में घुस कर ओसामा बिन लादेन को मार गिराया और इस कार्रवाई के बारे में पाकिस्तान को जानकारी तक नहीं दी. इसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते खराब हो गए हैं. पाकिस्तान का दावा रहा है कि उसे बिन लादेन के ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन कई स्तरों पर यह बात उठ चुकी है कि ऐसा हो ही नहीं सकता है.
विकीलीक्स का यह भी दावा है कि स्टार्टफोर ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख हामिद गुल को सदस्यता दे रखी है. गुल तालिबान का समर्थन करते हैं और अफगानिस्तान से पश्चिमी सेना के हटने की राय रखते हैं. आईएसआई पर भारत सहित कई देशों ने आरोप लगाए हैं कि वह तालिबान और चरमपंथियों का साथ देता है. हालांकि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी बार बार यही कहती आई है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के युद्ध में उसके साथ है.
शेख का कहना है कि आईएसआई को राजनीति से दूर करने के लिए जरूरी है कि उसकी राजनीतिक शाखा को ही बंद कर दिया जाए, "साल 2008 में सरकार ने कई बार कोशिश की कि आईएसआई को कानून के दायरे में लाया जाए लेकिन वे नाकाम रहे. यहां तक कि बिन लादेन के सफाए के दौरान भी बहुत से सवाल उठाए गए लेकिन सेना और उसकी एजेंसियों के खिलाफ कुछ नहीं किया जा सका."
रिपोर्टः शामिल शम्स/ए जमाल
संपादनः महेश झा