पिता की हत्या के बाद बेटे का अपहरण
२७ अगस्त २०११पुलिस के मुताबिक शनिवार सुबह शहबाज तासीर दफ्तर के लिए निकले. इसी दौरान लाहौर के सपन्न इलाके में चार लोगों ने उन्हें अगवा कर लिया. पुलिस अधिकारी सैयद मुमताज ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "कार में सवार चार लोगों ने लाहौर के गुलबर्ग इलाके में शहबाज तासीर की कार को रोका." पुलिस के मुताबिक अपहर्ताओं ने बंदूक की नोक पर शहबाज को मर्सिडीज कार से उतार कर अपनी गाड़ी में बैठाया और तेज रफ्तार से भाग गए.
दिनदहाड़े हुए इस अपहरण कांड से पुलिस की किरकिरी हो रही है. अधिकारी कार की खोजबीन में जुटे हैं. जांच में जुटे वरिष्ठ अधिकारी रज्जाक चीमा के मुताबिक अपहर्ताओं ने 27 साल के शहबाज की कार को चौराहे पर रोका. चीमा के मुताबिक, "बंदूक की नोक पर अपहरण करने के बाद अपहर्ता अपनी एक रायफल वहीं छोड़ गए. रायफल पुलिस के पास है. हम शहबाज की सुरक्षा में लगाए गए गार्ड से भी पूछताछ कर रहे हैं."
पंजाब के कानून मंत्री राणा सनाउल्लाह के मुताबिक सलमान तासीर की हत्या के बाद शहबाज को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी. लेकिन शनिवार को शहबाज ने पुलिसकर्मियों से अपने साथ न आने को कहा. पाकिस्तानी न्यूज चैनल जिओ टीवी से सनाउल्लाह ने कहा, "कभी वह सुरक्षाकर्मियों के साथ जाते थे और कभी अकेले." राज्य के कानून मंत्री के मुताबिक अपहर्ता युवा थे. वे गाड़ी और एक मोटरसाइकिल से आए.
अपहर्ताओं के बारे में अब तक कोई सुराग नहीं मिला है. अधिकारियों के मुताबिक मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए फिलहाल कुछ कहना जल्दबाजी होगी. शहबाज का मोबाइल फोन और लैपटॉप कार में ही पड़ा है. पुलिस मर्सिडीज पर पड़े फिगरप्रिंट्स की जांच कर रही है.
चरमपंथियों से खतरा:
पुलिस के मुताबिक तासीर परिवार को चरमपंथियों से लगातार धमकियां मिल रही थीं. जनवरी में शहबाज के पिता और पंजाब प्रांत गवर्नर सलमान तासीर की इस्लामाबाद में हत्या कर दी गई. सलमान तासीर को उन्हीं के अंगरक्षक ने कई गोलियां मारी. सलमान तासीर पाकिस्तान के विवादित ईशनिंदा कानून की खुलकर आलोचना करने वालों में से एक थे. तासीर की हत्या का आरोपी इस वक्त जेल में है. उस पर हत्या का मुकदमा चल रहा है.
पुलिस के मुताबिक तासीर परिवार को लगातार हत्या का मुकदमा वापस लेने के लिए धमकियां मिलती रही हैं. धमकी देने वाले परिवार पर हत्यारे के खिलाफ मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाने की कोशिश करते रहे हैं. मुकदमा वापस न लेने पर शहबाज और परिवार के अन्य लोगों को जान से मारने की धमकियां भी मिलती रही हैं. शहबाज तासीर बिजनेसमैन हैं. वह मीडिया टाइम्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं. उनकी कंपनी दो अखबार और एक प्रमुख न्यूज चैनल चलाती है.
क्या है ईशनिंदा कानून:
पाकिस्तान दंड संहिता में किसी भी मान्य धर्म की आलोचना करना ईशनिंदा कानून के तहत आता है. लेकिन पाकिस्तान में इस कानून का इस्तेमाल सिर्फ इस्लाम की आलोचना करने वालों के खिलाफ किया जाता है. कुरान, पैंगबर मोहम्मद या इस्लाम के खिलाफ बात करने वालों को इसका आरोपी बनाया जाता है. कानून में दोषी को मौत की सजा देने का प्रावधान है.
ईशनिंदा कानून के तहत आरोपी बनाए गए व्यक्ति को अक्सर पुलिस और वकीलों की मदद भी नहीं मिलती है. चरमपंथी आरोपी के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने वालों पर हमला करते हैं. ईशनिंदा कानून के ज्यादातर आरोपियों को सजा मिलती है. अब तक एक-आध ही ऐसे मामले हैं जिनमें आरोपियों को अदालत ने बरी किया है. अदालत से बरी होने के बाद ऐसे लोगों को कोई सुराग नहीं मिला है. मानवाधिकार संगठन आरोप लगाते हैं कि अदालत से बरी होने वालों की या तो हत्या कर दी गई है या फिर वह तमाम असुविधाओं के बावजूद किसी गुप्त स्थान में रह रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन भी पाकिस्तान से ईशनिंदा कानून को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि ईशनिंदा कानून की आड़ में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. मार्च 2011 में ईशनिंदा कानून की आलोचना करने वाले पाकिस्तान के अल्पसंख्यंक मामलों के मंत्री शहबाज भट्टी की हत्या कर दी गई. भट्टी ईसाई थे.
ईशनिंदा कानून का इतिहास:
1986 से 2007 से बीच ही किसी धर्म का अपमान करने वाले कि खिलाफ 1860 में ब्रिटिश हुकूमत ने कानून बनाया. पुराने ब्रिटिश कानून के तहत जानबूझकर किसी भी धर्म के पूजा केंद्र को तोड़ना और पवित्र पुस्तकों का अपमान करना ईशनिंदा कानून के दायरे में था. पुराने कानून के मुताबिक किसी धर्म और उसके मतों का अपमान करना भी गैरकानूनी था. दोषी साबित होने पर अधिकतम 10 साल की जेल की सजा थी. 1947 में भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान को यह कानून विरासत में मिला. लेकिन 1980 से 1986 में पाकिस्तान के सैन्य शासक जरनल जिया उल हक ने पुराने कानून में कई अन्य प्रावधान जोड़े. 1980 में जोड़े गए एक प्रावधान के मुताबिक इस्लाम के मतों की आलोचना करने वालों को तीन साल की जेल की सजा देना तय हुआ. 1982 में कुरान का अपमान करने वाले को उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया. 1986 में पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने वाले को मौत की सजा देना तय हुआ.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एन रंजन