पुलिस कमिश्नर को हटाने की मांग
२६ दिसम्बर २०१२आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल की मौत के बाद आठ निर्दोष लोगों को गिरफ्तार करके लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है, "लिहाजा पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार को बर्खास्त कर देना चाहिए."
पार्टी प्रवक्ता मनीष सिसोदिया का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने अपने ही साथी की मौत का राजनीतिकरण कर दिया है, "हमें लगने लगा है कि दिल्ली पुलिस ने साजिश रचनी शुरू कर दी है. दिल्ली पुलिस कमिश्नर को हटा देना चाहिए."
पोस्ट मार्टम रिपोर्ट का इंतजार
दिल्ली में चलती बस में एक छात्रा के साथ हुए बलात्कार के खिलाफ दिल्ली में लोगों का प्रदर्शन जारी है. रविवार को इंडिया गेट के पास ऐसी ही प्रदर्शन के दौरान एक पुलिसवाले को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां दो दिन बाद उनकी मौत हो गई. आरोप लगे कि प्रदर्शन के दौरान हिंसा में उनकी मौत हो गई. दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नीरज कुमार ने दावा किया कि डॉक्टरों ने उन्हें बताया है कि कांस्टेबल सुभाष तोमर को सीने और पेट में अंदरूनी चोटें आई हैं. इसके बाद दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने इस बात को और बढ़ाते हुए बयान दे दिया कि सुभाष तोमर को वहां जमा लोगों ने मार डाला.
लेकिन उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि कांस्टेबल के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं है और पूरी जानकारी पोस्ट मार्टम के बाद ही दी जा सकेगी. अंदेशा है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई, हमले और चोटों से नहीं. इस बीच चश्मदीद होने का दावा कर रहे एक छात्र का कहना है कि सुभाष तोमर खुद से गिर पड़े थे और उसने उन्हें अस्पताल पहुंचाया. इसके बाद दिल्ली पुलिस की भूमिका पर और सवाल उठने लगे हैं.
चश्मदीद का बयान
पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे योगेंद्र नाम के इस चश्मदीद का कहना है, "मैं भी इंडिया गेट पर था. मैंने देखा कि एक कांस्टेबल कुछ प्रदर्शनकारियों के पीछे भागा और फिर अचानक ही जमीन पर गिर गया. हम मदद करने के लिए उनकी तरफ बढे. कुछ अन्य पुलिसकर्मी भी वहीं थे." उसका कहना है कि वह तोमर को लेकर अस्पताल तक गया, "मैंने पास खड़ी पीसीआर वैन को सूचित किया और वे उन्हें अस्पताल ले कर गए. मैं भी उसी में साथ गया. उनके शरीर पर कोई चोट नहीं थी. भीड़ ने उन पर कोई हमला नहीं किया था. पुलिस बेतुकी बात कर रही है. मैं यह जान कर हैरान हूं कि सुभाष तोमर की मौत के लिए आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है."
इस बीच एक छोटी सी वीडियो क्लिप भी इंटरनेट पर डली है जिसमें तोमर को सड़क पर पड़े हुए देखा जा सकता है. कुछ पुलिस वाले हाथ पैर मल कर उनकी मदद की कोशिश कर रहे हैं.
पुलिस पर आरोप
बलात्कार की घटना के बाद से ही दिल्ली पुलिस सवालों के घेरे में है. राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के अलावा उसके सामने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सही कार्रवाई नहीं करने के भी आरोप लग रहे हैं. दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन आती है और इस वजह से दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने उसकी कार्रवाई से पल्ला झाड़ लिया है.
पुलिस पर बलात्कार के आरोपियों के बयान ठीक से दर्ज ना करने के आरोप भी लग रहे हैं. सब डिविजनल मजिस्ट्रेट उषा चतुर्वेदी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से इस बात की शिकायत कर चुकी हैं कि पुलिस ने उन्हें आरोपियों के बयान दर्ज नहीं करने दिया. अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि पुलिस ने उन पर सवाल थोपे और बयान का वीडियो भी नहीं बनाने दिया. शीला दीक्षित ने इस मामले में गृह मंत्री को पत्र लिखा है.
छात्रा की स्थिति बेहतर
उधर, अस्पताल में भर्ती बलात्कार की पीड़ित 23 साल की छात्रा की स्थिति थोड़ी बेहतर बताई जाती है. भयानक चोटों की वजह से उसके शरीर के कई अंदरूनी अंगों को निकालना पड़ा है. वह अपना बयान दे चुकी है. केंद्र सरकार ने इस मामले में बुधवार को विशेष जांच के आदेश दे दिए हैं. सरकार के प्रवक्ता और केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि एक सदस्यी कमीशन की अगुवाई दिल्ली हाई कोर्ट की रिटायर जज उषा मेहरा करेंगी, "पुलिस या दूसरे महकमों की जांच होगी कि कहीं उन्होंने कोताही तो नहीं बरती. इसमें मामले की जिम्मेदारी तय की जाएगी." उन्होंने बताया कि इसके अलावा मौजूदा कानून में प्रस्तावित बदलाव को लेकर भी चर्चा हो रही है.
इस बीच, हफ्ते भर बाद बुधवार को प्रदर्शन में थोड़ी नरमी देखी गई. पुलिस ने इंडिया गेट और रायसीना हिल के पास नाकेबंदी हटा ली है. पुलिस ने एतिहातन नौ मेट्रो स्टेशन भी बंद किए थे, लेकिन अब उन्हें भी खोल दिया गया है.
आईबी/एजेए (पीटीआई)