1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पेरिस में प्यार तालाबंद

२७ सितम्बर २०१०

ठहर जाना, कितनी खूबसूरत हो तुम - जर्मन महाकवि गोएठे के नायक फाउस्ट के अंतिम शब्द. प्यार ठहरता नहीं, लेकिन प्यार करने वाले उसे बांधकर रखना चाहते हैं. मसलन पेरिस में सेन नदी के किनारे ताले में बांधकर.

https://p.dw.com/p/PNTF
तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूरोप के बहुतेरे शहरों के बीच से नदियां बहती हैं, उनके किनारे टहलने के लिए रास्ते बनाए गए हैं, या उन पर ब्रिज हैं, रेलिंग के जरिए जिन्हें बांधा गया है. नौजवान जोड़ियां वहां आती हैं, अपने रुमानी लम्हे को हमेशा के लिए बनाए रखना चाहती हैं. इसका एक तरीका उन्होंने ढूंढ़ रखा है - एक ताले पर दोनों का नाम खुदवा कर ताले को रेलिंग में बंद करना और चाबी नदीं में फेंक देना. बस प्यार अब तालाबंद, कभी खुलने वाला नहीं.

Paris - Pärchen an der Seine vor Notre Dame
पेरिस, सेन नदी के किनारे युवा जोड़ीतस्वीर: picture-alliance / Chad Ehlers

युवा जोड़ियां हर शहर में होती हैं और कई शहरों में यह रिवाज चल पड़ा है, मसलन रोम, मास्को, प्राग, फ्लोरेंस या कोलोन में. इसकी शुरुआत कहां से हुई? ठीक-ठीक कहना मुश्किल है, वैसे ज्ञान के आधुनिक कोश विकीपीडिया का कहना है कि 1980 के दशक में हंगरी के नगर पेच में यह रिवाज शुरू हुआ था.

हो सकता है कि पेच इस साल जर्मनी के एस्सेन और तुर्की के इस्तांबुल के साथ यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी हो, लेकिन यूरोप की शाश्वत सांस्कृतिक राजधानी, रुमानियत की राजधानी तो पेरिस है. और पेरिस में प्यार की तालेबंदी का रिवाज सबसे अधिक प्रचलित है. सारी दुनिया से वहां प्रेमियों की जोड़ियां आती हैं, लुव्र और सां जैर्में के बीच ब्रिज की रेलिंग में नाम खुदा हुआ ताला लगाती हैं, और - छप्प - सेन नदी के पानी में फेंक दी जाती है उसकी चाबी. आसपास अक्सर कैमरा लिए सैलानी होते हैं, जो अपने कैमरे में ऐसे सीनकैद कर लेते हैं. सुनने में आया है कि जापान के कुछ सैलानी इसी वजह से पेरिस आते हैं.

Deutschland Köln Liebesschlösser auf der Hohenzollernbrücke
तस्वीर: Fotolia

वैसे सिर्फ ब्रिज की रेलिंग क्यों, किसी भी पार्क या ऐतिहासिक स्मारक स्थल में जाइए, तो आपको दिखेगा कि प्यार के नशे में डूबी जोड़ियों ने पेड़ या पत्थर पर अपना नाम भावी पीढ़ियों के लिए खोदकर रखा है - आंद्रेया को माथियास से प्यार है ! इस बीच आंद्रेया शायद गीदो की बांहों में हो चुकी है, माथियास उरसुला की आंखों में झांक रहा है - लेकिन पेड़ की छाल, या ऐतिहासिक स्मारक के पत्थर पर उनका नाम अमर है.

इस लिहाज से देखा जाए तो ब्रिज की रेलिंग पर तालों से पर्यावरण या धरोहरों को शायद ही कोई नुकसान पहुंचता है. लेकिन सेन नदी के ब्रिज पर अधिकतर तालों पर सन 2010 की तारीख है. वजह यह है कि इस साल के आरंभ में यहां से लगभग दो हजार ताले गायब हो गए. किसने ऐसा किया, किसी को पता नहीं. वैसे प्यार के मामले में कितने सारे सवाल होते हैं, जिनका जवाब किसी को नहीं मिलता.

Deutschland Köln Liebesschlösser auf der Hohenzollernbrücke
तस्वीर: Fotolia

होना नहीं चाहिए, लेकिन प्यार खत्म भी होता है, नया प्यार शुरू होता है. नया ताला लगाना पड़ता है. पुराने ताले के पास? नहीं, ऐसा तो नहीं हो सकता. लेकिन चाबी तो सेन नदी के पानी में है. यहां दूरदर्शिता काम आती है. आजकल तो नंबर वाले ताले चल पड़े हैं. नंबर याद रखिए. प्यार पलटा खाए, तो पुराने ताले को फेंक दीजिए उसी सेन नदी के पानी में. नया नाम खोदकर नए नंबर के साथ नया ताला लगा दीजिए रेलिंग पर. शायद इस बार का प्यार जिंदगीभर के लिए हो?

रिपोर्ट: एजेंसियां/उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: ए कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी