पैसों की बलि चढ़ता अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट
२ जून २०११यह सर्वे फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेट एसोसिएशन (एफआईसीए) ने कराया जिसमें 45 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. इनमें एक तिहाई खिलाड़ियों का कहना है कि वे आईपीएल में खेलने के लिए समय से पहले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायर हो जाएंगे. उन्हें लगता है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने की वजह वे पैसे बरसाने वाले टी20 टूर्नामेंट में नहीं खेल पाएंगे. एफआईसीए के चीफ एक्जक्यूटिव टिम मे का कहना है, "इंडियन प्रीमियर लीग खिलाड़ियों में बेहद लोकप्रिय है. इसमें मिलने वाला पैसा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को लेकर खिलाड़ियों की प्राथमिकताओं को चुनौती दे रहा है."
भारत में हर साल होने वाले आईपीएल में कई विदेशी खिलाड़ी खेलते हैं. मे कहते हैं, "अगर खिलाड़ियों को सिर्फ सात हफ्ते आईपीएल में खेलने से अपने बोर्ड की तरफ से दी जाने वाली सालाना सैलरी से दस गुना ज्यादा पैसा मिलेगा तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का ऐसा कार्यक्रम बनाना मूर्खता होगा कि वह आईपीएल से टकराए. क्रिकेट बोर्डों का समझना भी सही नहीं होगा कि खिलाड़ी उन्हें या फिर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को लेकर वचनबद्ध बने रहेंगे." सर्वे में 54 प्रतिशत खिलाड़ियों ने यह भी कहा कि बहुत ज्यादा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वजह से वे खेल के एक या उससे ज्यादा फॉर्मेटों से रिटायर हो सकते हैं.
नाकाफी सजा
वहीं ज्यादातर क्रिकेटर स्पॉट फिक्सिंग के लिए पाकिस्तान के तीन खिलाड़ियों पर कम से कम पांच साल के प्रतिबंध की सजा को नाकाफी मानते हैं. सर्वे में सलमान बट, मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर पर लगे प्रतिबंध से जुड़े सवाल भी पूछे गए. तीन चौथाई खिलाड़ियों ने कहा कि पाकिस्तानी क्रिकेटरों को बहुत कम सजा मिली है. पिछले साल ब्रिटेन के एक अखबार न्यूज ऑफ द वर्ल्ड ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिए खुलासा किया कि तीनों खिलाड़ियों ने पैसे लेकर नो बॉल फेंकीं. आईसीसी ने तीनों खिलाड़ियों को दोषी करार दिया और पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया.
तीनों खिलाड़ी स्पॉट फिक्सिंग से इनकार करते हैं और उन्हेंने आईसीसी के फैसले के खिलाफ स्विट्जरलैंड की खेल अदालत में अपील की है. मे का कहना है, "ज्यादातर खिलाड़ी उन लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग करते हैं जिन्हें भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया है. सभी खिलाड़ियों ने कहा कि अगर उनसे भ्रष्ट लोग इस तरह संपर्क करते हैं तो वे इसकी जानकारी तुरंत देंगे. वहीं इनमें से 20 प्रतिशत लोगों को यह विश्वास नहीं है कि आईसीसी उनकी दी गई जानकारी को गोपनीय रखेगी."
मे ने बताया कि इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर खिलाड़ी मानते हैं कि वे आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधी यूनिट की बजाय अपने टीम मैनेजर को भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों के बारे में बताना ज्यादा पसंद करेंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ए जमाल