प्रकृतिसंहार भी जुर्म के दायरे में !
६ अक्टूबर २०११एक स्कॉटिश बैरिस्टर ने प्रकृतिसंहार को आधिकारिक तौर पर शांति के खिलाफ अपराधों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है. इस अपराध पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हेग में मुकदमा चलाया जा सकता है.
ब्रिटेन की सफल बैरिस्टर पॉली हिगिंस ने रिटायरमेंट के पहले एक और मुवक्किल लेने का फैसला किया है. इस बार उनका मुवक्किल पृथ्वी है. वह खुद को पृथ्वी की वकील बताती हैं. अकसर बड़ी कंपनियों पर अपने आर्थिक फायदे के लिए प्रकृति को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगते हैं.
हिगिंस ने ना सिर्फ एक राजनीतिक बड़ा लेख लिखा बल्कि उस क्रांतिकारी नजरिए को आगे संयुक्त राष्ट्र के पास विचार के लिए भेजा है. उन्होंने प्रकृतिसंहार को शांति के खिलाफ पांचवां अपराध तय करने की सिफारिश की है. अगर हिगिंस का प्रस्ताव मान लिया जाता है तो यह प्रकृति के संरक्षण के लिए काम आएगा. हिगिंस डॉयचे वेले को बताती हैं, "अगर कानून है और वह तोड़ा जाता है तो कंपनी के सीईओ और कंपनी के निदेशक को जवाब देना ही पड़ेगा. ज्यादातर लोग किसी गैरकानूनी काम में फंसना नहीं चाहेंगे."
प्रकृति के खिलाफ अपराध
2002 से लागू रोम संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देश चार ऐसे अपराधों के खिलाफ कार्रवाई करने को बाध्य हैं जो शांति के खिलाफ हैं. ये चारों अपराध हैं नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध और आक्रमण के अपराध. हिगिंस चाहती हैं कि पर्यावरण को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कानून को इस सूची में शामिल किया जाए. हिगिंस अपनी किताब "प्रकृतिसंहार उन्मूलन: पृथ्वी की बर्बादी को रोकने के लिए कानून और शासन" में प्रकृतिसंहार को पर्यावरण का व्यापक विनाश या पारिस्थितिक तंत्र के नुकसान जैसे शब्दों से परिभाषित करती हैं.
उनके मुताबिक मानव द्वारा या अन्य कारणों से वहां रहने वाले लोगों का उस इलाके में शांति से रह पाना मुश्किल हो जाता हो. वह प्रकृतिसंहार के कुछ उदाहरण भी देती हैं, जैसे जंगल की कटाई, ज्यादा मछली पकड़ना और बड़े पैमाने पर खनन और तार रेत निकालना. ये रोजमर्रा के ऐसे काम हैं जो अब भी अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपराध के दायरे में नहीं आते.
सीईओ जाएंगे जेल
हिगिंस के प्रस्ताव के जरिए ऐसे लोगों, कंपनियों और देशों को पृथ्वी के विनाश के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. कुछ मामलों में सरकार ऐसी कंपनियों पर जुर्माना भी लगाती हैं. गैरलाभकारी पर्यावरण हैमिल्टन ग्रुप के साइमन हैमिल्टन डॉयचे वेले को बताते हैं कि कंपनियों को जो सजा मिलती है वह बहुत ही कम है.
हैमिल्टन कहते हैं, "कंपनियों के मुनाफे के हिसाब से जुर्माना बहुत ही कम है." हिगिंस के प्रस्तावित कानून के मुताबिक चीफ एक्जिक्यूटिव और बोर्ड के सदस्य को पारिस्थितिकी तंत्र के विनाश के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इस तरह के नुकसान के लिए उन्हें जेल में भी डाला जा सकता है. हिगिंस को भरोसा है कि उनका प्रस्ताव अगर कानून बनता है तो वह कारगर साबित होगा.
प्रस्ताव का परीक्षण
हिगिंस के प्रस्ताव के तहत रोम संधि पर हस्ताक्षर करने वाले 116 देशों को अपने अधिकार क्षेत्र में प्रकृतिसंहार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी. अमेरिका ने इस संधि पर हस्ताक्षर तो किया है लेकिन उसका अनुमोदन नहीं किया है, जबकि दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले चीन ने इस संधि पर ना तो हस्ताक्षर किया है और ना ही अनुमोदन किया है.
जिन देशों की सरकारों ने प्रकृतिसंहार करने वालों के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया है उनके खिलाफ हेग की अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में कार्रवाई का प्रावधान है. अपने प्रस्ताव के परीक्षण के लिए हिगिंस और हैमिल्टन समूह के साथ पर्यावरण से जुड़े लोगों ने ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा मॉक ट्रायल के लिए खटखटाया है. मॉक ट्रायल से यह नहीं पक्का होगा कि कोर्ट इस प्रस्ताव का समर्थक है. यह एक जरिया है कानून के जानकारों को समझने के लिए कि ब्रिटेन में अगर यह नियम लागू होता है तो इस पर कैसे कार्रवाई होगी.
इस मॉक ट्रायल के जरिए यह भी देखा जा सकता है कि प्रकृतिसंहार करने वाले के पक्ष और विपक्ष में किस तरह से बहस होती है. हिगिंस कहती हैं, "हमारे पास स्वतंत्र जज और जूरी हैं. हम पहले से नहीं सोच सकते कि मुकदमा किस ओर जाएगा. मेरी दिलचस्पी इसमें है कि कैसे चीजें विकसित होती हैं." साइमन हैमिल्टन कहते हैं कि इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य इसके प्रति जनता को जागरुक बनाना है.
रिपोर्ट: कोर्टनी टेंज/आमिर अंसारी
संपादन: ए कुमार