प्रशांत महासागर से निकले अवतार के निर्देशक कैमरन
२६ मार्च २०१२कैमरन ने समुद्र के उस सबसे गहरे हिस्से में पहुंचकर वापसी की है जहां पिछले 50 साल में कोई नहीं पहुंच पाया था.
अब तक पर्दे पर टाइटेनिक, अवतार, एलियंस जैसी रोमांचक कहानियां उकेरने वाले कैमरन लंबे समय से असल जिंदगी के इस रोमांचक सफर की तैयारी कर रहे थे. वह प्रशांत महासागर के सबसे गहरे हिस्से मरियाना ट्रेंच का सफर करना चाहते थे. इसकी गहराई 10 हजार 898 मीटर यानि करीब 11 किलोमीटर है.
तीसरे कैमरन
नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी के अनुसार कैमरन तीसरे व्यक्ति है जिन्होंने यह काम किया है. 23 जनवरी 1960 को स्विट्जरलैंड के जेक्स पिकार्ड और अमेरिका के डॉन वाल्श ने समुद्र के इस गहरे हिस्से में उतर कर रिकार्ड बनाया था.
लेकिन उसके बाद से कोई इंसान यहां नहीं पहुंचा. केवल रोबोट के माध्यम से ही अभियानों को अंजाम दिया गया है. नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी के सदस्य कैमरन ने समुद्र के गहरे हिस्से में 6 घंटे रहने की इच्छा जताई थी. जबकि पिकार्ड और वाल्श ने एक घंटे का सफर करने के बाद 20 मिनट रुक कर वापसी की थी.
फिल्म भी बनाई...
समुद्र के भीतर तय जगह पर पहुंचकर कैमरन ने पनडुब्बी में लगे शक्तिशाली कैमरों की सहायता से आसपास के दृश्यों की शूटिंग भी की.तल में पहुंचने पर उनका पहला शब्द था सभी सिस्टम ठीक हैं. कैमरन इसके पहले भी गोताखोरों के साथ कई साहसिक अभियानों को अंजाम दे चुके हैं.
विशेष पनडुब्बी से
कैमरन ने इस खतरनाक सफर पर डीप सी चैलेंजर नाम की पनडुब्बी में गए. कैमरन खुद भी पिछले कई वर्षों से इस पनडुब्बी पर इंजीनियरों की टीम के साथ काम कर रहे थे. 7 मीटर से अधिक लंबी और लगभग 11 टन वजनी इस पनडुब्बी को 150 मीटर प्रति मिनट की स्पीड से चलाया जा सकता है. इसे टारपीडो की तरह आकार दिया गया था. कैमरन के सफर से पहले इसे बिना किसी यात्री के ही समुद्र की गहराई में उतार कर परीक्षण किया गया था. कैमरन के बैठने के लिए इसमें विशेष प्रकार के स्टील का केबिन बनाया था ताकि वे गहराई में जाते वक्त पड़ने वाले दबाव को झेल सकें. तल में पानी का दबाव आठ टन प्रति इंच या उससे अधिक होता है. जैसे जैसे गहराई की और बढ़ा जाता है दबाव भी बढ़ता जाता है.
कैमरन का उदेश्य समुद्र की गहराई की 3 डी फोटो लेना और फिल्म बनाना था ताकि वहां के वातावरण की ज्यादा से ज्यादा जानकारी वैज्ञानिकों को दे सकें.
कैमरन पहले ही 72 बार समुद्र की गहराई नाप चुके हैं. इसमें से 12 बार तो केवल टाइटेनिक फिल्म बनाने के दौरान ही उन्होने समुद्र में गोते लगाए थे.
रिपोर्ट: डीपीए/ एपी/ रायटर्स/ जे.व्यास
संपादन: आभा मोंढे