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फलीस्तीन की ऐतिहासिक जीत

३० नवम्बर २०१२

भारत और चीन समेत कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारी बहुमत से फलीस्तीन का दर्जा बढ़ाया. अब फलीस्तीन गैर सदस्य देश होने के बावजूद यूएन में पर्यवेक्षक की भूमिका निभाएगा. नतीजे से अमेरिका व इस्राएल को झटका लगा.

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तस्वीर: AFP/Getty Images

फलीस्तीन में जहां इस खबर के बाद जश्न मनाया जा रहा है, वहीं अमेरिका और इस्राएल इससे खासे निराश हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने फलीस्तीन का दर्जा बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की आलोचना की. क्लिंटन का मानना है कि इस कदम से मध्य पूर्व विवाद को सुलझाने में और बाधा खड़ी होगी.

फलीस्तीन के प्रस्ताव को मिली मंजूरी को क्लिंटन ने 'दुर्भाग्यपूर्ण और गैर फलदायी' बताया. क्लिंटन ने कहा, "सीधे समझौते से ही इस्राएल और फलीस्तीन दोनों धड़े उस शांति तक पहुंच सकते थे, जिसके वे हकदार हैं. दो लोगों के लिए दो राष्ट्र जिसमें संप्रभुता के साथ, व्यवहारिक व स्वतंत्र फलीस्तीन सुरक्षित यहूदी और लोकतांत्रिक इस्राएल के साथ रहेगा."

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फैसले से निराश हुईं क्लिंटनतस्वीर: dapd

किसने किसे वोट दिया

अमेरिका के विरोध के बावजूद 193 देशों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारी बहुमत से फलीस्तीन के पक्ष में मतदान हुआ. भारत समेत 138 देशों ने फलीस्तीनी राष्ट्र के प्रस्ताव पर मुहर लगाई. फलीस्तीन के पक्ष में वोट देने वालों में चीन, फ्रांस, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, बेल्जियम, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, तुर्की, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश हैं.

अमेरिका, इस्राएल और कनाडा समेत नौ देशों ने इसके खिलाफ वोट दिया. जर्मनी, ब्रिटेन, नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रेलिया और कोलंबिया समेत 41 देश अनुपस्थित रहे.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने इसे 'अहम मतदान' कहा. मून ने कहा, "आज के वोट यह साफ है कि फिर से सार्थक समझौते की कोशिश की सख्त जरूरत है. हमें सुरक्षित इस्राएल के साथ स्वतंत्र, संप्रभु, लोकतांत्रिक, निकटवर्ती और मुमकिन फलीस्तीनी राज्य बाने के अपने साझा प्रयासों को ज्यादा बल देना होगा."

नतीजे का असर

मतदान के नतीजों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस्राएल और अमेरिका की बड़ी हार माना जा रहा है. गैर सदस्य पर्यवेक्षक राष्ट्र बनने के बाद फलीस्तीन कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जा सकता है. फलीस्तीनी लोग अब द हेग की अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में भी जा सकते हैं. इस अदालत में जनसंहार, युद्ध अपराध और मानवाधिकार के उल्लंघन के बड़े मामलों की सुनवाई होती है. ब्रिटेन ने तो यह तक कह दिया है कि फलीस्तीनी इस्राएल के खिलाफ आईसीसी में शिकायत कर सकते हैं.

वोटिंग से पहले फलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद ने आम सभा को संबोधित करते हुए कहा, मतदान "फलीस्तीनी राज्य के जन्म प्रमाण पत्र को हकीकत में जारी करेगा."

जीत के बाद अब्बास ने कहा, "हमारे प्रयास के लिए आपके समर्थन से फलीस्तीनी धरती पर रह रहे लाखों फलीस्तीनियों को एक भरोसमंद संदेश जाएगा." अब्बास ने 1948 के बाद इसे फलीस्तीनियों की सबसे बड़ी कामयाबी बताया. 65 साल पहले फलीस्तीन धरती पर रह रहे यहूदी नेताओं ने इस्राएली राष्ट्र के निर्माण की घोषणा की थी.

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जीत के जश्न में अब्बासतस्वीर: AFP/Getty Images

कहीं जश्न तो कहीं गम

यूएन में मिली इस कामयाबी से फलीस्तीन में सुबह सूर्योदय से पहले ही जश्न शुरू हो गया. पश्चिमी तट पर बसे शहर रमल्ला में हजारों फलीस्तीन झंडे लेकर परिवार समेत सड़कों पर उतर आए.

वहीं इस्राएल में शोक जैसा माहौल है. कुछ दिनों पहले गजा पर हमला करने का आदेश देने वाले इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू ने वोटिंग को 'अर्थहीन' कहा. इस्राएली प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि यूएन को संबोधित कर रहे अब्बास के शब्द शांति चाहने वाले व्यक्ति के नहीं है.

ओएसजे/एनआर (पीटीआई, एएफपी)

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