फीफा रिश्वत कांड: बिन हम्माम की सफाई
२६ मई २०११प्रेस एसोसिएशन न्यूज एजेंसी के मुताबिक फीफा को एक फाइल भेजी गई है जिसमें कैरेबियन फुटबॉल यूनियन के सदस्यों ने शपथपत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. इसमें लिखा है कि बैठक के दौरान विकास प्रोजेक्ट के नाम पर उन्हें हजारों डॉलर नगद राशि की पेशकश की गई. फाइल के मुताबिक कुछ लोगों ने पैसे ले लिए लेकिन कुछ सदस्यों ने इनकार किया और शिकायत चक ब्लेजर से कर दी.
कैरेबियन फुटबॉल यूनियन के साथ यह बैठक 10 और 11 मई को हुई जो 1 जून को होने वाले फीफा अध्यक्ष पद के चुनाव से संबंधित मीटिंग थी. आरोप लग रहे हैं कि रिश्वत के जरिए मोहम्मद बिन हम्माम ने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए वोट खरीदने की कोशिश की है. कतर के बिन हम्माम 62 साल के हैं और एशियन फुटबॉल कॉन्फेडरेशन के अध्यक्ष हैं. दुनिया भर में फुटबॉल पर नियंत्रण रखने वाली संस्था फीफा के मौजूदा फीफा अध्यक्ष जैप ब्लैटर के खिलाफ बिन हम्माम चुनाव लड़ेंगे.
अपने एक बयान में मोहम्मद बिन हम्माम ने कहा है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप फीफा अध्यक्ष जैप ब्लैटर की राजनीतिक साजिश है. ब्लैटर और हम्माम दोनों ही 1 जून को होने वाले फीफा अध्यक्ष पद की रेस में हैं. बिन हम्माम ने कहा, "आज मेरे लिए दुखद और बेहद मुश्किल दिन रहा है. लेकिन अगर दुनिया में जरा भी इंसाफ बचा है तो ये आरोप हवा के झोंके में उड़ जाएंगे. ये साजिश वो रच रहे हैं जिन्हें फीफा अध्यक्ष का चुनाव जीतने में अपनी क्षमता पर भरोसा नहीं है. मैं अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को पूरी तरह खारिज करता हूं."
फीफा अध्यक्ष पद के लिए मुकाबले ने बुधवार को नया मोड़ लिया जब फीफा ने बिन हम्माम और तीन अन्य अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की घोषणा की. इन चारों अधिकारियों को फीफा की नैतिक मामलों की समिति के सामने 29 मई को पेश होने का निर्देश दिया गया है. फीफा के नए अध्यक्ष का चुनाव 1 जून को होना है और चुनाव में दावेदारी पेश करने वाले उम्मीदवार के खिलाफ जांच होने से अब चुनाव पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
इस बात की मांग हो रही है कि अगर बिन हम्माम को निलंबित किया जाता है तो फिर दूसरे उम्मीदवार को खड़ा होने के लिए समय दिया जाना चाहिए क्योंकि ब्लैटर के लिए यह चुनाव आसान नहीं बनाया जा सकता. हाल के दिनों में फीफा भ्रष्टाचार के दलदल में फंसती नजर आ रही है. फुटबॉल वर्ल्ड कप की मेजबानी के लिए मतदान में भी आरोप लगे कि इंग्लैंड की दावेदारी के समर्थन में रिश्वत की मांग की गई.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल