फुकुशिमा संयंत्र से रेडियोधर्मी रिसाव रोका गया
६ अप्रैल २०११परमाणु संयंत्र का संचालन करने वाली कंपनी टेपको ने कहा है कि फिलहाल समंदर में पानी को उड़ेलने का काम जारी रहेगा क्योंकि संयंत्र में भारी मात्रा में पानी भरा हुआ है जिसकी वजह से मरम्मत के काम में दिक्कत पेश आ रही है. टेपको के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा, "तरल शीशा और एक कठोर एजेंट का मिश्रण डालने के बाद एक दिन पहले रिसाव धीमा पड़ गया था. आज यह पूरी तरह से बंद हो गया."
टेपको के इंजीनियर इस रिसाव को रोकने के लिए कई दिनों से लगातार कोशिश कर रहे थे. रिसाव रोकने के लिए अखबार, भूसा और कंक्रीट डाला गया. इससे भी काम नहीं बना तो फिर तरल शीशा डालने की योजना बनी. आखिरकार इंजीनियरों को इस काम में सफलता मिल ही गई.
28 हजार जानें
जापान दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी से गुजर रहा है. पहले रिएक्टर पैमान पर 9 की तीव्रता वाला भूकंप आया. फिर सूनामी आई और उसके बाद रही सही कसर फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में हुए हादसे ने पूरी कर दी. इन आपदाओं की चपेट में आकर 28000 लोग या तो लापता हैं या फिर मारे गए हैं. हजारों लोग बेघर हुए हैं और देश की अर्थव्यवस्था बुरे हाल से गुजर रही है.
फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के रिएक्टर नंबर 2 और 5 को ठंडा करने के लिए डाले गए पानी के नमूनों की जांच में रेडियोधर्मी पदार्थ की भारी मात्रा पाई गई है. अधिकारियों ने आशंका जताई है कि रेडियोधर्मी कण फुकुशिमा के आस पास घोषित किए गए आपदा क्षेत्र की सीमा से बाहर तक फैल चुके हैं. संयंत्र के कर्मचारी अभी भी उन चार रिएक्टरों के कूलिंग पंप चालू करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं जिन्हें भूकंप और सूनामी की वजह से नुकसान पहुंचा है.
पानी डालना होगा
जब तक इन रिएक्टरों के कूलिंग सिस्टम काम करना शुरु नहीं कर देते उन्हें ठंडा करने के लिए बाहर से पानी डालते रहना होगा. इस वजह से और ज्यादा प्रदूषित पानी पैदा होगा और विकिरण का खतरा बढ़ेगा. संयंत्र में फिलहाल 60 हजार टन रेडियोधर्मी कणों से युक्त पानी मौजूद है. टेपको ने सोमावार से इसमें से कम प्रदूषित 11500 टन पानी सागर में डालने का काम शुरु किया है. टेपको के पास इस पानी को रखने के लिए कोई जगह नहीं है. ऐसे मे उसके पास इसे सागर में उड़ेलने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार