फुकुशिमा हादसे से निपटने में 6 से 9 महीने लगेंगे
१८ अप्रैल २०११अंतरराष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के पूर्व प्रमुख मोहम्मद अलबरदेई ने जापान के हादसे पर अफसोस जताया लेकिन यह भी साफ किया कि परमाणु ऊर्जा ही प्राकृतिक ईंधन का असली विकल्प है. अलबरदेई ने कहा, ''परमाणु ऊर्जा ही खनिज तेल का वास्तविक और भरोसेमंद विकल्प है.'' दुबई में ग्लोबल एनर्जी फोरम को संबोधित करते हुए अलबरदेई ने माना कि फुकुशिमा हादसे से परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को धक्का लगा है.
जापान में 11 मार्च को आए शक्तिशाली भूकंप और फिर उठीं सूनामी लहरों के कारण फुकुशिमा परमाणु संयंत्र तबाह हो गया. सवा महीने बाद भी प्लांट के छह रिएक्टरों से खतरनाक परमाणु विकिरण फैल रहा है. रिएक्टरों के भीतर ईंधन की छड़ें गरम होकर पिघल रही हैं. बिजली नहीं बन रही है, लेकिन बाकी परमाणु प्रतिक्रिया नियंत्रण से बाहर होकर स्वंय चल रही है.
संयंत्र चलाने वाली टोक्यो इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी (टेपको) के मुताबिक तीन महीने के भीतर रिएक्टरों के ठंडा करने की तकनीक सुधार दी जाएगी. इसके बाद रिएक्टरों को ठंडा कर पूरी तरह बंद करने में छह महीने और लगेंगे. टेपको का कहना है कि पूरी प्रक्रिया में छह से नौ महीने का समय लगेगा. टेपको अधिकारी कातसुमाता ने कहा, ''पहले चरण में हम विकिरण को कम करने को कोशिश करेंगे. दूसरे चरण में हम पूरे नियंत्रण के साथ विकिरण को काबू में करने की कोशिश करेंगे. तीसरा चरण बेहद जोखिम भरा होगा, इसमें प्लांट को पूरी तरह बंद करने की कोशिश की जाएगी.''
जापान ने इसी महीने परमाणु संयंत्र की दुर्घटना का स्तर बढ़ा कर सात किया. यह परमाणु हादसे का उच्चतम स्तर है. 1986 में यूक्रेन के चेरनोबिल परमाणु संयंत्र में धमाके के बाद फुकुशिमा सबसे बड़ा परमाणु हादसा है. जापान के अधिकारी यह चेतावनी भी दे चुके हैं कि फुकुशिमा के हालात चेरेनोबिल से ज्यादा भयावह हो सकते हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ए कुमार