फुटबॉल में सेंसर बताएंगे गोल
११ अगस्त २०१०सिंगापुर में एक संवाददाता सम्मेलन में ब्लैटर ने कहा कि बोर्ड फुटबॉल के नियमों के लिए जिम्मेदार है. जुलाई में हुई बैठक में ये तय किया गया है कि अक्तूबर में गोल लाइन तकनीक पर चर्चा की जाएगी. "उस बैठक में हम गोललाइन तकनीक पर बातचीत करेंगे. अब ये एजेंडा में है."
फुटबॉल में गोल कंप्यूटर या हाईटेक मशीनों से देखा जाना चाहिए या नहीं इस बारे में एक बार फिर सवाल उठा जब जर्मनी के खिलाफ खेलते इंग्लैंड के फ्रैंक लैम्पर्ड का गोल सही नहीं माना गया. हालांकि कैमेरों में साफ देखा जा सकता था कि इंग्लैंड का गोल हुआ है. गेंद गोल लाइन के पीछे गई. लेकिन रैफरी ने गोल देने से इनकार कर दिया.
ब्लैटर पुरुष और महिलाओं के फुटबॉल टुर्नामेंट के उद्घाटन के लिए सिंगापुर में हैं. उनका कहना है कि वे तकनीक का समर्थन करते हैं ताकि इस तरह की गलतियां नहीं हों लेकिन तकनीक सटीक होनी चाहिए. "मेरा निजी विचार गोल तकनीक के बारे में कभी नहीं बदला. मैंने कहा था कि अगर हमारे पास एक सटीक और आसान प्रणाली है तो हम इसे इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन अभी तक न तो हमारे पास कोई आसान सिस्टम है न ही सटीक."
ब्लैटर ने कहा कि अगली बैठक में कई ग्रुप्स अपनी तकनीक दिखा सकेंगे. "कायरोस एडिडास सिस्टम ने कहा है कि उनके पास कुछ और आसान तकनीक होगी और एक इतालवी फुटबॉल संघ के ग्रुप ने कहा है कि उनके पास अब एक ऐसी तकनीक है जो एकदम सटीक है. हमारे पास हॉक आय सिस्टम है, स्विस वॉच कंपनी लौंजीन ने कहा है कि उनके पास ऐसी तकनीक है जो सबको मात दे सकती है. तो इस बैठक में ये सभी लोग आ सकते हैं और अपनी तकनीक पेश कर सकते हैं."
फिलहाल फुटबॉल में रैफरी ही तय करता है कि गोल है या नहीं. लेकिन 2010 फुटबॉल वर्ल्ड कप में इंग्लैंड जर्मनी के बीच हुए मैच के बाद एक बार फिर गोललाइन तकनीक शुरू करने की बात उठी. फिलहाल दो ही तकनीक सामने हैं एक हॉक आय है और दूसरी है कायरोस का जीएलटी सिस्टम.
हॉक आय तकनीक में कई तेज गति वाले कैमेरे लगाने का प्रस्ताव है जो कि कई जगहों से खेल रिकॉर्ड करेंगे और विवाद की स्थिति में गोल का पता लगाएंगे. लेकिन इसके लिए मैच बीच में ही रोकना होगा.
दूसरी तकनीक है कायरो एडिडास की, जिसके हिसाब से पेनल्टी एरिया और गोल लाइन के नीचे पतले केबल लगाए जाएं. जैसे ही बॉल इस एरिया में आएगी वो चुबंकीय क्षेत्र तैयार करेगी जिसे बॉल में लगे सेंसर पकड़ लेंगे. ऐसे पता लगाया जा सकेगा कि गेंद गोल लाइन के पार गई या नहीं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एम गोपालकृष्णन