फोर्स इंडिया को जोरदार झटका
३१ अक्टूबर २०१२गिआनकार्लो फिसिकेला और आद्रिआन सुटील को गंवाने वाली फोर्स इंडिया टीम 2013 में निको हुल्केनबर्ग के बिना दिखेगी. 25 साल के हुल्केनबर्ग ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, "साउबर की एफ-1 टीम के साथ काम करने को मैं उत्साहित हूं. यह बहुत अच्छी टीम है और बहुत प्रतिस्पर्द्धी भी."
हुल्केनबर्ग इस वक्त फॉर्मूला वन के प्रतिभाशाली पायलटों में गिने जाते हैं. 2012 की चैंपियनशिप में वह 12वें स्थान पर हैं. बेल्जियम ग्रां प्री में तो वह चौथे स्थान पर रहे. 2010 में विलियम्स टीम के साथ करियर का आगाज करने वाले हुल्केनबर्ग को लग रहा है कि फोर्स इंडिया के साथ उनकी जीत की संभावनाएं मजबूत नहीं हैं.
भारत के शराब कारोबारी माल्या को अब टीम के लिए दूसरे ड्राइवर का इंतजाम करना होगा. ब्रिटेन के पॉल डी रेस्टा का जोड़ीदार खोजना होगा. माल्या ने हुल्केनबर्ग को रोकने की कोशिश की. माल्या के मुताबिक, "मैंने दोनों ड्राइवरों के सामने करार बढ़ाने का प्रस्ताव रखा. मीडिया से मुझे पता चला कि निको साउबर में चले गए हैं. अगर, हां ऐसा है तो उन्हें शुभकामनाएं."
विजय माल्या की उम्मीदें काफी हद तक जर्मन ड्राइवर सुटील पर टिकी हैं. एक पुराने मामले में सुटील को जर्मन अदालत ने दोषी ठहराया. उन पर 18 महीने का प्रतिबंध और दो लाख यूरो का दंड लगाया गया. प्रतिबंध 31 जनवरी 2012 से शुरू हुआ. माल्या को उम्मीद है कि अगस्त 2013 के बाद सुटील फर्राटा भरने लगेंगे. माल्या कहते हैं, "मत भूलिये कि मैं हमेशा जुटिल की वापसी की संभावना खोजता हूं. सुटील बहुत तेज हैं. फिलहाल कई विकल्प हैं."
फोर्स इंडिया की माली हालत भी बहुत ठीक नहीं हैं. पिछले साल सहारा समूह ने फोर्स इंडिया में 42.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी. यह सौदा 10 करोड़ डॉलर में हुआ. इसके बाद टीम का आधिकारिक नाम सहारा फोर्स इंडिया हो गया, लेकिन ट्रैक पर टीम की किस्मत ज्यादा नहीं चमकी.
ओएसजे/एमजे (एपी, रॉयटर्स)