बराक ओबामा ने माफी मांगी
२ अक्टूबर २०१०बराक ओबामा ने ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति अलवारो कोलोम से फोन पर बातचीत की और निजी तौर पर माफी मांगी. उन्होंने इस घटना पर गहरा दुख जाहिर किया. ओबामा ने कहा कि वह उन सबसे माफी मांगते हैं जिन पर इसका असर हुआ.
हाल ही में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि 1946 से 1948 के बीच अमेरिकी डॉक्टरों ने ग्वाटेमाला में कैदियों और मानसिक तौर पर बीमार लोगों को अपने शोध का हिस्सा बनाया. उन्हें सिफलिस और गोनोरिया जैसे यौन रोगों का शिकार बनाया गया ताकि उन पर परीक्षण किया जा सके.
ओबामा ने इस त्रासदी के बारे में कहा कि उन्हें काफी धक्का पहुंचा है. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता रॉबर्ट गिब्स ने बताया कि ओबामा ने इसे बेहद त्रासद और निंदनीय बताया. इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन, स्वास्थ्य मंत्री कैथलीन सेबेलियस और कई अन्य अमेरिकी अधिकारी भी इस घटना की निंदा कर चुके हैं.
ग्वाटेमाला में शुक्रवार को हुई एक कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति कोलोम ने कहा कि यह मानवता के विरुद्ध एक अपराध है. उन्होंने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री ने खुद उन्हें फोन किया और इस निंदनीय अध्ययन के बारे में जानकारी देते हुए माफी मांगी.
कोलोम ने कहा, "उन सालों में जो कुछ भी हुआ वह मानवता के खिलाफ अपराध है और सरकार इस बारे में कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार रखती है." लेकिन बहुत जल्द वह अपने सख्त रवैये से पीछे हट गए. उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि यह अमेरिका की नीति नहीं है और यह बहुत पहले हुआ."
1940 के दशक में हुआ यह अध्ययन कभी छपा नहीं. इस बारे में पता तब चला जब वेल्जली कॉलेज की प्रफेसर सूजन रेवरबाई ने अमेरिकी डॉक्टर जॉन कटलर के नेतृत्व में हुए अध्ययन से जुड़े दस्तावेज को आर्काइव में पाया.
कटलर और उनके साथियों ने ग्वाटेमाला में काफी लोगों को इस शोध में शामिल किया. इनमें मानसिक रोगी भी थे. डॉक्टर कटलर इस बात पर शोध कर रहे थे कि पेंसिलिन का इस्तेमाल यौन रोगों की रोकथाम के लिए किया जा सकता है या नहीं. अपने शोध के लिए टीम ने पहले सेक्स वर्करों को गोनोरिया या सिफलिस जैसे यौन रोगों से संक्रमित किया और फिर उन्हें सैनिकों या कैदियों के साथ संबंध बनाने को कहा.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एम गोपालाकृष्णन