बस बेहतर चलाती हैं महिलाएं
२ मार्च २०११दुनिया के किसी भी शहर में लोगों से पूछिए कि सबसे बुरा ट्रैफिक कौन से शहर में है तो जवाब आपको वही मिलेगा - "हमारे शहर में". फिलिपीन की राजधानी मनीला का भी यही हाल है. यहां दफ्तर के समय सडकें इतनी भर जाती हैं कि गाड़ियां चलती नहीं, बल्कि रेंग रही होती हैं. जिन लोगों ने राजधानी दिल्ली का ट्रैफिक देखा है उनके लिए यह नजारा नया नहीं होगा. लोगों को दफ्तर पहुंचाने वाली बसें खचाखच भरी होती हैं और बस चालकों में एक दूसरे से आगे निकलने और ज्यादा सवारियां लेने की होड़ लगी रहती है. ऐसे में कई बार बस चालकों की आपस में लड़ाई भी हो जाती है और दुर्घटनाएं होने का भी डर बना रहता है. मनीला विकास प्राधिकरण ने इस समस्या से निपटने का एक रास्ता निकाला है. उनका मानना है कि स्टियरिंग व्हील अगर महिलाओं के हाथ में हो तो स्थिति खुद ब खुद ही नियंत्रण में आ जाएगी.
पुरुष चालकों के कारण होती हैं सड़क दुर्घटनाएं
बस ड्राइवर रॉनी असहन सड़क पर कारों की लम्बी कतार को देख कर परेशान हैं. 33 वर्षीय रॉनी पिछले दस साल से बस चला रहे हैं और इतने दिनों में यहां कुछ नहीं सुधरा है. वो बताते हैं, "यहां ट्रैफिक के हालात बहुत ही बुरे हैं. मैं इससे तंग आ चुका हूं." दिल्ली की ब्लू लाइन बसों की तरह मनीला में भी प्राइवेट बसें चलती हैं. बसों में होड़ लगी रहती है कि ज्यादा सवारियां कौन लेगा. जाहिर सी बात है - जितनी ज्यादा सवारियां उतनी ही ज्यादा आमदनी. इसीलिए कंडक्टर जगह जगह बस रुकवाते हैं - कई बार सड़क के बीचोंबीच भी. और फिर एक दूसरे से ज्यादा रफ्तार पर बस चलाने की भी कोशिश में लगे रहते हैं.
यह बस ड्राइवर ज्यादातर पुरुष होते हैं, और उनकी इन हरकतों से सड़क दुर्घटनाओं का ख़तरा बढ़ता ही रहता है. मनीला विकास प्राधिकरण के निदेशक फ्रांसिस टॉलेनटीनो कहते हैं कि इस समस्या से निपटने के लिए वो पुरुषों को ही सड़क से हटा देंगे - न होंगे आक्रामक पुरुष और न ही सड़कों पर होंगे हादसे. इसीलिए वो अब महिलाओं को बस चलाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. टॉलेनटीनो बताते हैं, "मनीला में ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं पुरुष चालकों के कारण होती हैं. कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कम आक्रामक होती हैं और गाड़ी चलाते समय वो लापरवाही नहीं करती हैं."
महिलाओं का एक ग्रुप ये ट्रेनिंग पहले ही कर रहा है और इस महीने के अंत तक सड़क के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएंगी. टॉलेनटीनो को उम्मीद है कि कई नीजी बस कम्पनियां इन्हें काम पर रखेंगी. 50 वर्षीय ओलिविया पाब्रिगा भी इसी ग्रुप का हिस्सा हैं. वो बताती हैं कि उन्होंने यहां क्या क्या सीखा, "तेल बदलना, पहिये बदलना, पहियों का प्रेशर चेक करना, गाड़ी शुरू करने से पहले आप को ऐसी कई चीजें करनी होती हैं." पाब्रिगा मानती हैं कि महिलाएं गाड़ी चलाते समय ज्यादातर शांत रहती हैं.
ट्रैफिक के नियम सिखाए जाएं
लेकिन कई लोग मानते हैं कि ये इस समस्या का असली हल नहीं है. यहां तक कि इसमें असली समस्या को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है. जरूरी यह है कि लोगों को ट्रैफिक के नियम सिखाए जाएं. मनीला के कैथलिक आर्चडियोसिस क्षेत्र के बिशप ब्रोडेरिक पाबिलो का मानना है कि बस चालक इसलिए नियम तोड़ते हैं क्योंकि उन्हें दिहाड़ी पर रखा जाता है. वो बताते हैं, "कई दूसरे शहरों में जन-परिवहन सरकार द्वारा सस्ते दामों पर चलाया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह आम लोगों की सेवा के लिए है. सवारियां मिलें या न मिलें, बस चालकों को अपना पूरा वेतन मिलता है. लेकिन यहां ड्राइवर और कंडक्टर दोनों ही पूरी तरह से सवारियों पर निर्भर करते हैं. साफ सी बात है, वो तो सवारियों के पीछे भागेंगे ही."
कई लोग यह भी मानते हैं कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले बहतर बस चला ही नहीं सकती. लेकिन बस चालक रॉनी असहन ऐसा नहीं मानते. हालांकि वो यह जरूर मानते हैं कि क्योंकि महिलाएं बस चलाते वक्त जोखिम नहीं लेना चाहती, इसलिए उनकी यही खूबी उनकी कमजोरी बन जाएगी.
रिपोर्टः जेसन स्ट्रोथर/ईशा भाटिया
संपादनः एमजी