बालाक की मायूस विदाई
३ अक्टूबर २०१२मिषाएल बालाक अपनी पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ जर्मन फुटबॉलर माने जाते हैं. उन्होंने राष्ट्रीय टीम की कप्तानी 98 बार की. जर्मन फुटबॉल लीग क्लब बकैजर्सलाउटर्न से करियर की शुरुआत करने वाले बालाक बाद में मशहूर बायर्न म्यूनिख में भी रहे. इसके बाद ब्रिटेन की चेल्सी टीम ने उन्हें मौका दिया. लेकिन एक चोट की वजह से पहले उन्हें खेल रोकना पड़ा और बाद में खुद टीम ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. राष्ट्रीय टीम से उनकी पहले ही छुट्टी हो चुकी थी. चेल्सी के बाद वह एक बार फिर जर्मन फुटबॉल लीग में लौटे और बायर लेवरकूजन पहुंचे. लेकिन बाद में इस क्लब ने भी उनसे कन्नी काट ली. सारे दरवाजे बंद देख बालाक ने अपने वकील के जरिए फुटबॉल को अलविदा कह दिया.
सीधे संदेश में बालाक का कहना है, "36 साल की उम्र में मैं अपने लंबे और शानदार व्यावसायिक फुटबॉल करियर को देख सकता हूं. एक ऐसा करियर, जिसका सपना मैं बचपन में बिलकुल नहीं देख सकता था. मैं बेहतरीन कोचों के साथ, बढ़िया साथियों के साथ खेला. मैं निश्चित तौर पर 80,000 दर्शकों के सामने खेलना और गोल करना मिस करूंगा."
मिडफील्ड मार्शल
पोलैंड की सीमा पर गोएर्लिट्स में पैदा हुए बालाक ने शुरुआती जीवन पूर्वी जर्मनी में बिताए. लेकिन उनके करियर की शुरुआत होने तक जर्मनी का बंटवारा खत्म हो चुका था और उन्हें एकीकृत जर्मनी में खेलने का गौरव प्राप्त हुआ.
बालाक ने किशोरावस्था में केमनिट्स की टीम से की. इसके बाद वह कैजर्सलाउटर्न पहुंचे. फिर बायर लेवरकूजेन और बायर्न म्यूनिख के साथ खेलने के बाद वह लंदन की मशहूर टीम चेल्सी में शामिल हो गए.
क्लब स्तर पर वह चार बार जर्मन फुटबॉल लीग यानी बुंडेसलीगा और तीन बार जर्मन कप विजेता टीमों में शामिल रहे. चेल्सी में खेलते हुए वह एक बार इंग्लिश प्रीमियर लीग एक बार जीती और एफए कप तीन बार. ब्रिटेन में चार साल तक खेलने वाले वह इकलौते जर्मन खिलाड़ी हैं. उन्हें एक मजबूत और क्रिएटिव मिडफील्डर समझा जाता था, जो दूर का सोचता था. करियर के सबसे अच्छे दौर में बालाक दुनिया से सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में गिने गए.
थोड़ी किस्मत
मिषाएल बालाक ने जर्मन राष्ट्रीय टीम में कई साल कप्तानी की और देश का 98 बार प्रतिनिधित्व किया. जर्मनी के साथ बालाक वर्ल्ड कप 2002 के उपविजेता रहे और 2008 में यूरो कप के भी. 2006 में जर्मनी में हुए वर्ल्ड कप के दौरान भी वह टीम के कप्तान रहे. उस साल जर्मनी को इटली की कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा और वह सेमीफाइनल में पहुंचने से चूक गया. मिडफील्ड से बालाक ने कुल 42 गोल दागे, जिसने उन्हें देश के ऑल टाइम टॉप 10 में शामिल कर दिया.
चोट का मतलब था 2010 के वर्ल्ड कप में नहीं खेल पाना. वहीं से बालाक के अंतरराष्ट्रीय करियर पर सवाल शुरू हो गए. उसका एक कारण यह भी था कि जर्मनी में मिडफील्डर खिलाड़ियों की नई पीढ़ी तैयार हो रही थी.
करियर के आखिरी पड़ाव में बालाक को बायर लेवरकूजेन में मुश्किलों का सामना करना पड़ा जब उन्हें क्लब के कप्तान सिमोन रोल्फ्स की सीधी प्रतिस्पर्धा में मिडफील्ड की रक्षा पंक्ति में खड़ा कर दिया गया. नामी खिलाड़ी को उनके साथ खेलने में परेशानी हुई और आखिरकार ऐसी स्थिति हो गई कि उनका कॉन्ट्रैक्ट भी टीम ने आगे नहीं बढ़ाया.
नया दौर
उनके साथ सबसे ज्यादा खेलों में रहे जर्मन कोच योआखिम लोएव ने कहा, "दुनिया भर में अच्छे फुटबॉलर के तौर पर मशहूर हो चुका खिलाड़ी अपना करियर समाप्त कर रहा है. मैं मिषाएल की राष्ट्रीय टीम के मजबूत स्तंभ के तौर पर सराहना करता हूं. वह खास गुणों वाले बहुत अच्छे खिलाड़ी हैं. मैदान पर उनका दबदबा था."
वहीं जर्मन फुटबॉल संघ के अध्यक्ष वोल्फगांग नीर्सबाख का कहना है, "मिषाएल बालाक शानदार खिलाड़ी हैं जिन्होंने जर्मन संघ की स्थिति और जर्मन फुटबॉल को एक नई जगह दिलाई."
मिषाएल बालाक ने रिटारयमेंट की घोषणा में कहा, "बिना फुटबॉल के पिछले कुछ महीनों ने मुझे दिखाया कि अब रुकने का समय आ गया है. मैं जीवन के नए अध्याय पर नजरें लगाए हूं. अपने परिवार और सभी शानदार लोगों को मेरे साथ रहने और मुझे सहयोग देने के लिए धन्यवाद देता हूं. उनका मेरी सफलता में बड़ा हिस्सा है."
रिपोर्टः मार्क हालाम/आभा मोंढे
संपादनः अनवर जे अशरफ