बीपी प्रबंधन तेल रिसाव संकट के लिए जिम्मेदार
६ जनवरी २०११48 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में अमेरिकी पैनल ने कहा है कि बीपी कंपनी तेल निकालने की प्रक्रिया में जरूरी सुरक्षा मानकों का पूरी तरह पालन नहीं कर रही थी. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से गठित इस पैनल ने नाकामी को व्यवस्थागत खामियां करार दिया है और उन्हें दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाने पर जोर दिया है. पैनल का कहना है कि अगर तेल उद्योग और सरकार ने सुधार लागू नहीं किए गए तो ऐसा हादसा आने वाले दिनों में फिर हो सकता है.
मेक्सिको की खाड़ी में तेल कुएं में पहले विस्फोट होने से 11 लोगों की मौत हो गई और उसके बाद हफ्तों तक तेल रिसाव होता रहा. इसे इतिहास का सबसे भयानक तेल रिसाव कहा गया. समुद्र की सतह के करीब एक मील भीतर मौजूद मैक्कोंडो तेल कुएं से लाखों गैलन तेल मेक्सिको की खाड़ी में रिसता रहा और अमेरिकी तटों पर वन्य जीवन को नुकसान पहुंचाता रहा. तेल रिसाव पर काबू पाने के लिए बीपी ने कई प्रयास किए और आखिरकार उसे जुलाई में सफलता मिली.
बीपी कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि पैनल की रिपोर्ट उसकी रिपोर्ट जैसी ही है जिसमें दुर्घटना के लिए कई कारणों और कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया गया है. बीपी ने भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि इस दुर्घटना से सबक लेते हुए उसने समुद्र के भीतर से तेल निकालने के काम में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं.
अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़े तेल रिसाव संकट पर अपनी रिपोर्ट देते हुए कमीशन ने कहा, "बीपी और उसकी सहयोगी कंपनियों के पास ऐसी व्यवस्था नहीं थी जिससे तेल कुंए पर हादसे की आशंका को टाला जा सके. बीपी, हैलीबर्टन और ट्रांसओशन ने जो फैसले लिए उससे तेल कुएं पर हादसे की आशंका बढ़ रही थी लेकिन कंपनियों का समय और पैसा बच रहा था."
पैनल के मुताबिक बीपी कंपनी ने तेल निकालने के लिए ऐसी प्रक्रिया का पालन किया जिससे समय की तो बचत हुई लेकिन हादसे का जोखिम बढ़ गया. बीपी तेल रिसाव संकट के दौरान इस कमीशन का गठन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने किया. सरकार की ओर से गठित यह पहला पैनल है जिसने इस हादसे के कारणों पर अपनी जांच रिपोर्ट पेश की है. पैनल ने समुद्र में तेल निकालने की मुहिम के भविष्य पर भी सिफारिशें दी है.
वैसे तो व्हाइट हाउस की ओर से गठित इस पैनल के पास नीति बनाने या फिर जिम्मेदार कंपनियों को दंडित करने का अधिकार नहीं है, लेकिन इसके निष्कर्ष आपराधिक और सिविल मुकदमों में अहम भूमिका निभा सकते हैं. पैनल की ताजा रिपोर्ट नवंबर में आई रिपोर्ट के कुछ बिंदुओं पर विरोधाभास पैदा करती है. नवंबर की रिपोर्ट में पैनल को खर्च में कटौती के लिए उठाए गए कदमों का कोई सबूत नहीं मिला था. उसके बाद पैनल की आलोचना हुई जिस पर उसने सफाई देते हुए कहा कि उसका यह मतलब नहीं था कि कंपनी ने पैसे बचाने के लिए सुरक्षा मानकों के साथ समझौता किया.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार