बेटे की मुराद लिए फतेहपुर सीकरी पहुंचे सारकोजी-कार्ला
५ दिसम्बर २०१०फ्रांसीसी राष्ट्रपति सारकोजी ने रिवायतों का खास ध्यान रखा और मजार पर गुलाब के फूलों वाली चादर चढ़ाई. इस दौरान उन्होंने और उनकी पत्नी कार्ला ब्रूनी ने अपना सिर ढंके रखा. सारकोजी ने अपनी कामयाबी के लिए दुआ मांगी. फतेहपुर सीकरी कभी मुगल सम्राट अकबर की राजधानी हुआ करती थी. अब यह भारत में संरक्षित जगह है.
मजार के सज्जादानशीं रईस मियां चिश्ती ने बताया, "मैंने उन्हें बताया कि इस मजार पर बेरोजगारों, कुंवारों और निसंतान लोगों की दुआएं पूरी होती हैं. सारकोजी ने मुझसे कहा कि मैं उनके लिए दुआ करूं कि उन्हें कामयाबी मिले, जबकि कार्ला ने मुझसे एक बेटे के लिए दुआ करने को कहा." सारकोजी और कार्ला ब्रूनी ने दो साल पहले 2008 में शादी की है लेकिन दोनों को कोई औलाद नहीं है. हालांकि पहले की शादियों से सारकोजी के तीन बच्चे हैं, जबकि कार्ला का एक बच्चा है.
इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि मुगल सम्राट अकबर को जब बेटा नहीं था तो वे नंगे पैर शेख सलीम चिश्ती के पास आए. चिश्ती ने अकबर के लिए दुआ की और अकबर के घर बेटे का जन्म हुआ. शेख सलीम के सम्मान में लड़के का नाम सलीम रखा गया, जो बाद में शहंशाह जहांगीर के नाम से मशहूर हुआ.
अकबर के दिल में शेख सलीम चिश्ती की भरपूर इज्जत थी और उन्होंने उनके स्थान के आस पास पूरा शहर फतेहपुर सीकरी बसा दिया. यहां तक कि अकबर ने इसी जगह को अपनी राजधानी भी बना लिया.
सारकोजी और कार्ला ने हाथ पर मजार का धागा भी बांधा, जिसे मन्नतों को पूरा करने वाला माना जाता है. रईस मियां चिश्ती ने बताया, "उन्होंने सभी परंपराओं को पूरा किया और वे बहुत खुश लग रहे थे." दो साल पहले भी सारकोजी भारत आए थे लेकिन उस वक्त उन्होंने कार्ला ब्रूनी से शादी नहीं की थी. भारतीय परंपराओं को देखते हुए तब सारकोजी अपने साथ कार्ला को नहीं लाए थे.
उस वर्ष भारतीय गणतंत्र दिवस के विशेष अतिथि सारकोजी ने ताजमहल के दीदार किए थे और इसकी खूबसूरती को देखने के बाद तभी कहा था कि वे कार्ला ब्रूनी को लेकर यहां आना चाहते हैं. उन्होंने अपना वादा पूरा किया. सारकोजी को सोमवार को भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात करनी है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एस गौड़