बोर हुए बाबू बने फ्रांस के फनकार
२२ सितम्बर २०११आपके मेज या कंप्यूटर की स्क्रीन के कोने पर चिपके इन कागजों के सहारे ही बहुत से लोग भागदौड़ और तनाव के बीच अपने सभी कामों को याद रख पाते हैं. अकसर अलग अलग रंगों में मिलने वाले इन कागजों से ही पैरिस में दफ्तरों की खिड़कियों पर नायाब कलाकृतियां रूप ले रही हैं.
शायद इस चलन की शुरुआत दफ्तर में ऊबते लोगों ने की, लेकिन गर्मी के मौसम में देखते ही देखते हर तरफ रंग बिरंगे पोस्ट इट नोट्स आर्ट के शानदार नमूने दिखने लगे. सिर्फ दिखे ही नहीं, बल्कि कई जगह तो एक दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ भी चल निकली. इसीलिए इसे पोस्ट इट नोट्स वार यानी लड़ाई का नाम दिया गया.
अब तो पोस्ट इट नोट्स वार के नतीजे में मशूहर कंप्यूटर गेम के किरदार सुपर मारियो और पैक मैन की बड़ी बड़ी आकृतियां दिखने लगी हैं. इन्हें दफ्तर में काम करने वाले लोगों ने हजारों रंग बिरंगे नोट्स लगा कर तैयार किया है. इस तरह की दूसरी आकृतियों में कॉमिक किरदार एस्टरिक्स और ओबेलिक्स के अलावा मर्लिन मुनरो की भी बड़ी बड़ी तस्वीरें दफ्तरों की खिड़कियों पर देखी जा सकती हैं.
होड़ इस कदर मची है कि अलग अलग कंपनी के लोगों ने अपनी गर्मियां सबसे बड़ी और सबसे प्रभावशाली पोस्ट इट कलाकृतियां बनाने में बिताईं, ताकि सामने वाले दफ्तर की खिड़कियों पर बनाई गई कलाकृति का जवाब दे सकें.
ईंट का जवाब पत्थर
पोस्ट इट नोट्स वार जून में पैरिस के पूर्वी बाहरी इलाके में एक दफ्तर से शुरू हुआ जहां जानी मानी गेमिंग कंपनी उबीसॉफ्ट के कर्मचारियों ने दूसरे ग्रह के किसी प्राणी की एक छोटी की आकृति उकेरी. पास ही बीएनपी परिबास बैंक के आईटी सिस्टम का दफ्तर है और वहां काम करने वालों को उबीसॉफ्ट के लोगों को जवाब देना था. उन्होंने मशहूर गेम स्पेस इनवेडर का सहारा लिया और नोट्स से स्पेसशिप तैयार किया. इस गेम में दूसरे ग्रह से आए प्राणियों को मार गिराया जाता है.
यह होड़ जल्द ही पैरिस के दूसरे इलाकों में भी फैल गई. शहर में कई युद्द के मैदान तैयार हो गए. यहां तक कि कारोबारी इलाके समझे जाने वाले ला डेफाँस और इसी ले मुलीनो में दफ्तरों की खिड़कियों पर पोस्ट इट नोट्स की कलाकृतियां दिख रही हैं. इस इलाके में फ्रांस की बहुत ही टेलीकॉम और मीडिया कंपनियों के दफ्तर हैं.
इसमें हिस्सा लेने वालों का मानना है कि इस कलात्मक गतिविधि का एक सामाजिक उद्देश्य है. उनकी दलील है कि इससे पहले विभिन्न दफ्तरों में काम करने वालों के बीच कोई संपर्क नहीं था, लेकिन जबसे पोस्ट इट वार शुरू हुआ है, तो माहौल पूरी तरह बदल गया है.
कंपनी को नहीं एतराज
अब तक किसी कंपनी को अपने कर्मचारियों के इस कारनामे पर कोई शिकायत नहीं है. उन्हें इसमें कोई दिक्कत नहीं है कि दफ्तर में लोग वक्त निकाल कर हजारों नोट्स खिड़कियों पर चिपका रहे हैं. एक फ्रेंच मैनेजर का कहना है, "लोग उसी तरह मेहनत से काम कर रहे हैं. सच कहूं तो इसका फायदा हो रहा है कि उन्हें कुछ देर अपने कंप्यूटर स्क्रीन से दूर रहने का मौका मिल रहा है और वे आजादी से अपनी पसंद का काम कर पा रहे हैं"
कुछ कंपनियों के सीईओ तो अपने कर्मचारियों की बनाई कलाकृतियों को संजो कर रखने की भी योजना बना रहे हैं. उन्होंने बड़े बड़े कागजों पर उतारा जा रहा है.
रिपोर्ट: डीपीए/ए कुमार
संपादन: महेश झा