भारत यूरोप कारोबार 100 अरब यूरो का
१० दिसम्बर २०१०सात फीसदी विकास वाला भारत यूरोप की चमचमाती कारों और घड़ियों से लेकर चॉकलेट का बड़ा बाजार बन सकता है. दूसरी ओर सवा अरब की आबादी यूरोप की अर्थव्यवस्था में दम फूंकने के लिए बड़े पावरहाउस का काम कर सकती है. भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जब शुक्रवार को बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नुमाइंदों से मिलेंगे, तो कारोबार पर सबसे ज्यादा चर्चा होगी.
यूरोपीय संघ के साथ भारत का कारोबार 60 अरब यूरो का है, जिसे दोनों पक्ष बढ़ा कर 100 अरब यूरो का करना चाहते हैं. इस प्रस्ताव पर सहमति बन सकती है. दोनों पक्षों के बीच पिछले तीन चार साल से मुक्त व्यापार पर चर्चा हो रही है और अगले साल तक इस पर सहमति बन सकती है. हालांकि हाल के दिनों में यूरोप की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रही है और यूरो जोन को मंदी का मुंह देखना पड़ा है, लेकिन फिर भी वह भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार बना हुआ है.
हालांकि भारत के सामने काम करने की खराब स्थिति, बाल मजदूरी और भ्रष्टाचार के बीच यूरोपीय पार्टनरों को साधना आसान काम नहीं होगा. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी यूरोपीय देश भारत के पक्ष से खुश नहीं रहते हैं.
लेकिन हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के बाद भारत की स्थिति मजबूत हुई है. ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की पक्की सीट का समर्थन किया है. फ्रांस पहले ही भारत की सदस्यता के दावे का समर्थन करता रहा है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सुरक्षा परिषद के सुधारों के लिए यूरोपीय संघ का समर्थन चाहेंगे. भारत के साथ साथ जर्मनी भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता चाहता है और इन दोनों देशों को अगले महीने से दो साल के लिए अस्थायी सदस्यता मिलने वाली है.
शिखर बैठक में यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष हर्मन फान रोम्पॉय और यूरोपीय कमीशन के अध्यक्ष खोसे मानुएल बारोसो हिस्सा लेंगे. दोनों पक्षों में आतंकवाद और दक्षिण एशिया में सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा होगी. इसके साथ साथ भारत यूरोपीय संघ बिजनेस शिखर बैठक भी होगी.
भारतीय प्रधानमंत्री इसके बाद जर्मनी रवाना हो रहे हैं, जहां उन्हें चांसलर अंगेला मैर्केल से मिलना है. चार साल में सिंह की यह तीसरी जर्मन यात्रा है.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ, ब्रसेल्स
संपादनः महेश झा