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भारत से निरस्त्रीकरण प्रयासों की अपील

१८ अक्टूबर २०१०

जर्मनी के विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने भारत से परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रयासों को तेज करने की अपील की है. आज नई दिल्ली में उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से मुलाकात की.

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कृष्णा और वेस्टरवेलेतस्वीर: AP

पारस्परिक संबंधों को बेहतर बनाने के अलावा उनकी बातचीत का मुख्य मुद्दा सुरक्षा परिषद का सुधार था. भारत और जर्मनी दोनों ही पिछले ही सप्ताह 2011-12 के लिए सुरक्षा परिषद के सदस्य चुने गए हैं. जर्मनी इस सदस्यता को स्थायी सदस्यता की राह में महत्वपूर्ण पड़ाव मानता है.

भारतीय नेताओं के साथ बातचीत के बाद गीडो वेस्टरवेले ने कहा कि यदि भारत परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि सीटीबीटी पर हस्ताक्षर कर देता है तो यह आगे की ओर एक बड़ा कदम होगा. उन्होंने कहा कि जर्मनी भारत के परमाणु अप्रसार संरचना के करीब आने का स्वागत करेगा. भारत दोमनों ही संधियों में शामिल होने से इंकार करता रहा है और 1998 में उसने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद परमाणु परीक्षण भी किया है.

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वेस्टरवेले और मनमोहन सिंहतस्वीर: picture-alliance/dpa

सुरक्षा परिषद की सदस्यता के दौरान भारत और जर्मनी ने निकट सहयोग करना और सभी मुद्दों पर आपस में विचार विमर्श करना तय किया है. गीडो वेस्टरवेले ने कहा कि जी-4 देश शीघ्र ही सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पर विचार करने के लिए मिलेंगे. जर्मनी की तरह भारत, ब्राजील और जापान भी सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट के दावेदार हैं. सुरक्षा परिषद में सुधार के बारे में वेस्टरवेले कहते हैं, "सवाल यह है कि हमें संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की जरूरत है ताकि वह ताकतवर हो सके."

जर्मन विदेश मंत्री का कहना है कि दोनों देश साझे मूल्यों के जरिए जुड़े हैं. वे कहते हैं, "मूल्यों की साझेदारी जर्मन भारत सहयोग और हमारी सामरिक साझेदारी का आधार है." वर्षों बाद सीटीबीटी और एनबीटी में शामिल होने का मुद्दा उठाने के बावजूद जर्मन विदेश मंत्री ने भारत को हथियार बेचने में भी दिलचस्पी दिखाई. उन्होंने कहा कि कई सौदे हैं जिनमें जर्मन उद्यम उनकी सरकार की मदद की उम्मीद कर सकते हैं. अपनी खस्ताहाल वायुसेना के लिए भारत को लड़ाकू विमान खरीदने हैं और इस समय यूरो फाइटर खरीदने पर भी विचार किया जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि दिसम्बर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जर्मनी दौरे पर इस सौदे पर चर्चा होगी.

उन्होंने कहा कि जर्मन उद्यम ढांचा और आधुनिक ऊर्जा आपूर्ति संरचना के विकास में भारत की मदद के लिए तैयार हैं. उन्होंने छात्रों से जर्मन विश्वविद्यालयों में पढ़ने आने की अपील करते हुए कहा कि जर्मन उद्यमों की दिलचस्पी भारतीय इंजीनियरों और अन्य कुशल कर्मियों में भी है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: आभा एम

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