भारत से शुरू होगा ओसामा के शव को खोजने का अभियान
१५ जून २०११59 वर्षीय बिल वॉरेन ने जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए से बातचीत में कहा, "मैं इसे गंभीरता से ले रहा हूं, यह कोई मजाक नहीं है." जब उनसे पूछा गया कि वह ऐसा क्यों करना चाहते हैं तो उन्होंने कहा, "सबसे बड़ा कारण तो यही है कि मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या मेरे राष्ट्रपति सच बोल रहे थे और क्या बिन लादेन वाकई में मर चुका है और समुद्र के तल पर है."
वॉरेन के अनुसार इस खोज में चार लाख डॉलर का खर्चा आएगा और इस राशि को इकट्ठा करने के लिए वह पहले ही चार फाईनेंसर ढूंढ चुके हैं. वॉरेन एक पेशेवर गोताखोर हैं. वह पिछले 35 सालों से इस पेशे में हैं और अब तक कई डूबे हुए जहाजों और खजानों की खोज में हिस्सा ले चुके हैं.
अब तक की तैयारी के अनुसार वह एक कैमरा टीम के साथ भारत से अपना अभियान शुरू करेंगे. वह आठ हफ्तों तक अरब महासागर में लादेन के शव को तलाशेंगे. वॉरेन ने कहा है कि यदि उन्हें शव मिल जाता है तो वह उसकी तसवीरें लेंगे और उसका डीएनए सैम्पल भी साथ ले कर लौटेंगे. इसके अलावा वह पूरे अभियान को कैमरे पर उतारेंगे ताकि टीवी के लिए डॉक्युमेंट्री बनाई जा सके.
अभियान की तारीख पास आते देख वॉरेन उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही राष्ट्रपति उनसे संपर्क करेंगे, "मेरे ख्याल से राष्ट्रपति ओबामा या वॉशिंगटन में उनका कोई प्रतिनिधि मुझे आ कर कहेगा कि मैं इस अभियान पर न जाऊं."
वॉरेन ने कहा कि यदि उन्हें शव नहीं भी मिलता तो शायद वह समुद्र में छिपे और किसी राज का पता लगाने में सफल हो सकें. शव मिलने की स्थिति में वह क्या करेंगे इस बारे में उन्होंने कहा, "यह बहुत ही संवेदनशील मामला है. हमने अभी तक तय नहीं किया है कि हम शव के साथ क्या करेंगे."
2 मई को पाकिस्तान के एबटाबाद में हुई अमेरिकी सेना की कार्रवाई में बिन लादेन को मार गिराया गया. अमेरिकी प्रशासन ने दावा किया कि मुठभेड़ के बाद लादेन के शव को समुद्र में दफना दिया गया. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लादेन की तसवीरें जारी न करने का फैसला लिया. कई लोग तस्वीरों को लादेन की मौत के प्रमाण के तौर पर देखना चाहते थे. लेकिन तस्वीरें जारी न होने से इस बात की शंका होने लगी कि क्या बिन लादेन की मौत हुई भी है या अमेरिका ने केवल एक कहानी फैलाई है. बिल वॉरेन अब लादेन का शव ढूंढ कर अपनी और बाकी लोगों की इस जिज्ञासा को शांत करना चाहते हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादन: ओ सिंह