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भारतीय सीमा शुल्क में फंसी फॉर्मूला वन की गाड़ी

१४ सितम्बर २०११

भारत में फार्मूला वन रेस शुरू होने के कुछ हफ्ते पहले रेस की तैयारी की गति सरकार और आयोजकों के बीच घर्षण के कारण कम हो गई है. इस अनबन का मुद्दा है सीमा शुल्क. कस्टम विभाग ने मांगा आयोजकों से सौ फीसदी शुल्क.

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तस्वीर: dapd

सरकार और फॉर्मूला वन रेस के आयोजकों में इस नई अनबन से आयोजन आशंकाओं में घिर गया है. कस्टम विभाग का कहना है कि फॉर्मूला वन एयरटेल इंडियन ग्रां प्री के आयोजकों को रेस के लिए आने वाले सभी उपकरणों पर 100 प्रतिशत ड्यूटी अग्रिम चुकानी होगी. 30 अक्तूबर को भारत में ग्रां प्री होने वाली है. वहीं भारतीय मीडिया ने इस बीच समाचार दिया है कि सरकार ने आयोजकों को भारी सीमा शुल्क से मुक्ति दे दी है. इससे पहले वित्त मंत्रालय ने कहा था वर्तमान सीमा शुल्क के नियमों के हिसाब से एफ1 को इस शुल्क से बाहर नहीं रखा जा सकता. भारत सरकार का कहना है कि फॉर्मूला वन मनोरंजन है खेल नहीं. जबकि मोटर स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया संघ को भारत सरकार राष्ट्रीय

अंग्रेजी अखबार के मुताबिक फॉर्मूला वन के उपकरणों का एक भी बार मूल्यांकन नहीं किया गया है. अंदाज के मुताबिक इन उपकरणों से मिलने वाला शुल्क छह अरब रुपये हो सकता है.

इस रेस का आयोजन करने वाली कंपनी जेपी स्पोर्ट इंडिया (जीपीएसआई) ने कहा था कि कि कस्टम बॉन्डेड एरिया के बारे में बता दिया जाए ताकि फॉर्मूला वन के उपकरण जल्दी से ट्रैक पर ले जाए जा सकें और फिर रेस खत्म होने के बाद आसानी से लौटाए जा सकें.

नई दिल्ली से 40 किलोमीटर दूर बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट बनाया गया है. भारत में होने वाली पहली फॉर्मूला वन रेस 19 रेस वाले सीजन की 17वीं रेस होगी. भारत का यह ट्रैक जर्मन आर्किटेक्ट हेरमान टिल्के ने बनाया है. उन्होंने ही बहरीन, मलेशिया और अमेरिका के ट्रैक डिजाइन किए हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः एन रंजन

 

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