भारी मन से कर्स्टन ने भारत को अलविदा कहा
५ अप्रैल २०११मुंबई में भारतीय कोच के तौर पर अपनी आखिरी प्रेस कांफ्रेस में कर्स्टन ने कहा, "यह सबसे मुश्किल अलविदा है जो मैंने अपनी जिंदगी में कहा है. इन शानदार क्रिकेटरों के समूह का हिस्सा बन कर बहुत मजा आया है." कर्स्टन की कोचिंग में भारत टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचा. साथ ही पिछले हफ्ते वह 28 साल बाद वर्ल्ड चैंपियन बना.
तीन साल पहले जब कर्स्टन ने भारत के कोच की जिम्मेदारी संभाली तो उन्हें ऐसा कोई अनुभव नहीं था. पूर्व दक्षिणी अफ्रीकी क्रिकेटर कर्स्टन मानते हैं कि यह बात उनके लिए फायदेमंद ही रही. वह कहते हैं, "मुझे लगता है कि कोचिंग के अनुभव के बिना यह जिम्मेदारी अपने हाथ में लेना खासा दिलचस्प रहा. मैं टीम के साथ एक खिलाड़ी के तौर पर पेश आता था. मैंने एक भरोसे का माहौल पैदा करने की कोशिश की. मैंने और पैडी (उपटन) ने यह बात सुनिश्चित करने की कोशिश की कि वे इस बात को समझें कि हम इस टीम को दुनिया की बेहतरीन टीम बनाने भारत आए हैं."
भारतीय कोच के तौर पर अपना कार्यकाल बढ़ाने से इनकार करने वाले कर्स्टन ने कहा कि फिलहाल वह किसी दूसरी टीम के कोच नहीं बन रहे हैं, बल्कि अपने परिवार के साथ वक्त बिताएंगे. उनका कहना है, "मैं अपने परिवार के साथ वक्त बिताने घर जा रहा हूं. लेकिन कभी न कभी तो मुझे अपने भविष्य के बारे में सोचना होगा. मुझे कुछ पेशकशें मिली हैं, लेकिन अभी मैं अपने परिवार के साथ वक्त बिताना चाहता हूं."
कर्स्टन के मार्गदर्शन में टीम इंडिया का प्रदर्शन निरंतर रूप से बढ़िया रहा है. वह मानते हैं कि फील्डिंग को छोड़ कर ऐसा कोई पहलू नहीं है जिसे टीम इंडिया को सुधारना है. फील्डिंग में भी कुछ महीनों में काफी सुधार आया है. वह कहते हैं, "वे दुनिया में नंबर एक टेस्ट टीम हैं. उन्होंने वर्ल्ड कप जीता है, तो सुधार की ज्यादा गुंजाइश नहीं है. हम फील्डिंग पर बहुत मेहनत कर रहे हैं और वर्ल्ड के पिछले तीन मैचों में हमने जिस तरह से फील्डिंग की, उससे मैं काफी खुश हूं."
43 वर्षीय कर्स्टन का कहना है कि भारतीय टीम के अगले कोच को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि भारतीय क्रिकेट अब सकारात्मक दिशा में जा रहा है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः उभ