भोपाल कांड पर अमेरिका की धमकी
१९ अगस्त २०१०भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को लिखे ईमेल में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार फ्रोमान माइकल ने कहा, ''हम डाऊ केमिकल्स को लेकर हो रहे हंगामे के बारे में सुन रहे हैं. मुझे हंगामे का ब्यौरा नहीं पता है लेकिन मुझे लगता है कि हमें इस मुद्दे पर आगे नहीं बढ़ाना चाहिए. इससे व्यवसायिक रिश्तों में खराब असर पड़ सकता है.'' फोरमान के मुताबिक अगर ज्यादा मुआवजा मांगने की कोशिश की गई तो भारत में हो रहे अमेरिकी निवेश पर असर पड़ेगा.
भोपाल गैस कांड को लेकर भारत अमेरिकी कंपनी डाऊ केमिकल्स से ज्यादा मुआवजे की मांग कर रहा है. इस बारे में अहलूवालिया ने अमेरिकी अधिकारियों को एक ईमेल लिखा था. अमेरिका से मांग की गई है कि वह त्रासदी से निपटने में भारत की मदद करे. भारत यह मदद विश्व बैंक से चाहता है.
अमेरिकी अधिकारी के बयान के बाद अहलूवालिया ने कहा, ''फ्रोमान के ईमेल का मतलब यह नहीं है कि डाऊ केमिकल्स और वर्ल्ड बैंक में कोई संबंध है.'' योजना आयोग के उपाध्यक्ष से जब यह पूछा गया कि क्या डाऊ मामले में अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है. इस पर अहलूवालिया ने कहा, ''मैं इन ईमेलों को दबाव डालने वाला नहीं मानता हूं.''
यह मामला भारत की यूपीए सरकार के लिए मुश्किल साबित होता जा रहा है. कांग्रेस पर आरोप हैं कि उसने यूनियन कार्बाइड के प्रमुख वॉरेन एंडरसन को भारत से भागने में मदद की. इन आरोपों के बाद केंद्र सरकार ने कहा कि भोपाल गैस कांड के आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्हें त्रासदी से हुए नुकसान को भरना ही होगा.
भोपाल गैस कांड दिसंबर 1984 में हुआ. रात में अचानक यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैस रिसी और 15,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. हजारों लोग अब भी विकलांगता झेल रहे हैं. दुर्घटना से रिसे कचरे की वजह से भी कई जगहों पर पानी प्रदूषित हो चुका है. यूनियन कार्बाइड को बाद में डाऊ केमिकल्स ने खरीद लिया. तब से डाऊ केमिकल्स ही मुकदमा झेल रही है.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल