मर्दों को औरतों से ज्यादा ऑस्कर क्यों मिलते हैं?
२६ अप्रैल २०२१2021 के ऑस्कर पुरस्कारों का नतीजा भी वही रहा, जिसकी आशंका थी. अधिकतर श्रेणियों में मर्दों का बोलबाला रहा. हालांकि ऐसा पहली बार हुआ था कि बेस्ट डायरेक्टर कैटिगरी में दो महिलाएं, क्लोई शाओ और एमेरल्ड फेनल नामित थीं. ऑस्कर मिला क्लोई शाओ को. इस कैटिगरी में किसी महिला को यह सिर्फ दूसरा ऑस्कर है.
लेकिन लिंग भेद नामांकन से ही जाहिर था. सभी श्रेणियों में कुल मिलाकर 68 फीसदी मर्द और 32 फीसदी औरतें नामित हुई थीं. ऐसी श्रेणियों में, जहां पुरुषों का मुकाबला औरतों से हुआ, दो अहम श्रेणियों में औरतों ने बाजी मारी. बेस्ट ऑरिजिनल स्क्रीनप्ले कैटिगरी में एमेरल्ड फेनल को जीत मिली. लेकिन सवाल जस का तस है, मर्दों को औरतों से ज्यादा ऑस्कर क्यों मिलते हैं?
सिर्फ दो बार बेस्ट
1929 में ऑस्कर पुरस्कारों की शुरुआत होने के बाद से सिर्फ पांच महिलाएं बेस्ट डायरेक्टर कैटिगरी में नामित हुई हैं. इनमें से कैथरीन बिगेलो ने 2009 में पहली बार ऑस्कर जीता. यानी 93 ऑस्कर समाराहों के बाद दो महिलाएं बेस्ट डायरेक्टर हुई हैं. 93:2 का यह अनुपात क्या मात्र एक संयोग है?
बेस्ट डायरेक्टर की श्रेणी एक प्रतीक है क्योंकि यह फिल्म निर्माण की सबसे अहम भूमिका मानी जाती है. लेकिन सिर्फ फिल्म उद्योग ही ऐसा नहीं है जहां महिलाओं को नेतृत्व पाने के लिए जूझना पड़ता है. 2019 में ग्रेटा ग्रेविग की फिल्म ‘लिटल वुमेन' बेस्ट फिल्म समेत छह श्रेणियों में नामित हुई. लेकिन बेस्ट डायरेक्टर की श्रेणी में नहीं.
उसके बाद ट्विटर पर #OscarsSoMale हैशटैग के जरिए कई महिलाओं ने विरोध भी जताया. समारोह के दौरान नैटली पोर्टमन ने रेड कार्पेट पर सुनहरी गाउन पहना था जिस पर ऐसी महिलाओं का नाम लिखा था जो पोर्टमन के मुताबिक ऑस्कर की हकदार थीं. उनमें ग्रेविग भी शामिल थीं.
#MeToo ने बदला माहौल
इतिहास के सबसे बड़े विवादों में से एक मीटू आंदोलन के बाद महिला कलाकारों के आत्मविश्वास में एक उछाल देखा गया है. 2017 में 100 से ज्यादा महिलाओं ने मूवी मुगल कहे जाने वाले निर्माता हार्वी वाइन्सटीन के खिलाफ सार्वजनिक गवाही दी. फरवरी 2020 में वाइन्सटीन को बलात्कार के आरोपों में 23 साल की कैद हुई.
उसके बाद माहौल बदला है. अकैडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स ऐंड सायंसेज अब नए तौर-तरीके अपना रही है. ऑस्कर पुरस्कार अकादमी के सदस्य देते हैं. पिछले पांच साल से अकादमी में नए सदस्यों के आने का तरीका बदल रहा है. नए सदस्यों को आमंत्रित किया जा रहा है जिनमें आधी महिलाएं हैं. जिसका असर यह हुआ है कि नौ हजार सदस्यों वाली अकादमी में महिलाओं की संख्या 2015 की 25 फीसदी से बढ़कर 32 फीसदी हो गई है.
समाधान क्या है?
कई श्रेणियों पर अब भी पुरुषों का कब्जा बना हुआ है. 93 साल के इतिहास में बेस्ट सिनेमैटोग्राफी में सिर्फ एक और विजुअल इफेक्ट्स श्रेणी में सिर्फ चार महिलाओं को नामांकन मिला है. मनोरंजन उद्योग में लैंगिक समानता पर काम करने वालीं साउथ कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी की स्टेसी स्मिथ कहती हैं कि महिला निर्देशकों की संख्या बढ़ाना एक हल हो सकता है.
वह कहती हैं, "लघु और स्वतंत्र फिल्मों में महिला निर्देशक के होने से पर्दे पर ज्यादा महिलाएं नजर आती हैं. महिलाओं को केंद्र में रखने वाली ज्यादा कहानियां कही जाती हैं और ऐसी कहानियां भी ज्यादा होती हैं जिनमें 40 वर्ष से अधिक की औरतों के किरदार हों."