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माफी मांगें सोनिया और प्रधानमंत्री: आडवाणी

५ जून २०११

भारतीय सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस संतोष हेगड़े ने रामलीला मैदान पर हुई पुलिस की कार्रवाई की आलोचना की. उन्होंने इसे नागरिकों के आम अधिकारों का हनन करार दिया. आडवाणी ने प्रधानमंत्री और सोनिया से माफी मांगने को कहा.

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Senior BJP leader LK Advani in a pensive mood at the Conclave of Defence services veterans discussion on resolving the "Kashmir issue" in New Delhi on Friday. Der BJP-Politiker L.K. Advani bei einer Diskussion zum Thema Kaschmir in New Delhi am 27.8.2010 BJP, L.K. Advani, Kashmir Quelle UNI
तस्वीर: UNI

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने बाबा रामदेव के अभियान के खिलाफ हुई कार्रवाई को 'नग्न फांसीवाद' करार दिया. आडवाणी ने सरकार की कार्रवाई की तुलना 1975 के आपातकाल से की और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मामले में दखल देने की अपील की. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति को 'निष्क्रिय पर्यवेक्षक' की भांति नहीं रहना चाहिए.

आडवाणी ने कहा, "बाबा रामदेव को न सिर्फ गिरफ्तार किया गया बल्कि महिलाओं और बच्चों को पीटा गया. यह मुझे जलियावाला बाग कांड की याद दिलाता है. प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष को रामदेव और देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए." वरिष्ठ बीजेपी नेता के मुताबिक सरकार लोगों की सही मांगें और सुझावों को मानने के बजाए आपातकाल लागू करना चाह रही है.

Policemen walk inside an empty yoga camp being hosted by Ramdev after police cleared the camp in New Delhi, India Sunday, June 5, 2011. Police officers swooped down Sunday on the venue of a hunger strike by the charismatic Indian yoga guru and forcibly removed him and thousands of his supporters. (AP Photo/Saurabh Das)
तस्वीर: AP

सरकार की आलोचना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और भारत के पूर्व सॉलीसिटर जनरल जस्टिस संतोष हेगड़े ने भी की है. कर्नाटक के लोकायुक्त हेगड़े ने कहा, "हर कोई जो वहां शांति से सोया था उसे पीटकर बाहर निकाला गया. वहां बर्बरता देखी जा सकती थी. मैं बहुत ज्यादा दुखी हूं, इससे मुझे 25-26 जून 1975 का दिन याद आता है. ऐसी हिंसा वहां मौजूद लोगों के मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों के खिलाफ है. नागरिकों का यह अधिकार है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से जमा होकर प्रदर्शन कर सकें. शनिवार तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ने का संदेह पैदा होता."

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ईशा भाटिया

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