मिस्र पोप की अपील से खफा, वापस बुलाया राजदूत
१२ जनवरी २०११मिस्र के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुसम जकी ने पोप के बयान को अस्वीकार्य कहा और इसे अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करार दिया. जकी ने बताया कि विदेश मंत्री अहमद अबु अल गायत ने मिस्र में कॉप्टिक ईसाइयों की स्थिति और मुसलमानों और ईसाइयों के बीच संबंधों पर पहले की गईं वेटिकन की टिप्पणी पर एक संदेश भी भेजा है. विदेश मंत्री ने अपने संदेश में कहा कि सरकार देश में धार्मिक आधार पर किसी भी तरह के तनाव को रोकना चाहती है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "मिस्र की सरकार किसी भी कीमत पर बाहरी लोगों को देश के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देगी." पोप ने सोमवार को वेटिकन में नियुक्त विदेशी राजदूतों को संबोधित करते हुए मिस्र, इराक और नाइजीरिया में ईसाइयों पर होने वाले हमलों का जिक्र किया. उन्होंने इन देशों की सरकारों से अपील की कि ईसाइयों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाएं ताकि वे आजादी से अपने धर्म का पालन कर सकें.
नए साल की पूर्व संध्या पर मिस्र के सिकंदरिया शहर में चर्च पर हुए हमले में 21 श्रद्धालु मारे गए. इसके बाद ईसाइयों ने अपनी सुरक्षा के लिए उचित कदम न उठाने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. पोप ने कहा, "एक के बाद एक होने वाले हमले इस बात का संकेत हैं कि सरकारों को मुश्किलों के बावजूद ऐसे प्रभावी कदम उठाने चाहिए जिनसे धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके."
पोप ने अपने भाषण में पाकिस्तान का भी जिक्र किया. उन्होंने इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के विवादास्पद ईशनिंदा कानून को खत्म करने की भी मांग की. इस कानून के तहत इस्लाम का अपमान करने पर मौत तक की सजा का प्रावधान है. हाल ही में एक ईसाई महिला को इस कानून के तहत मौत की सजा सुनाई गई. पोप ने कहा कि आसिया बीबी की रिहाई की मांग करने वाले पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के बाद और भी जरूरी हो गया है कि इस दिशा में कदम उठाए जाएं. लेकिन ईशनिंदा कानून को खत्म करने की पोप की मांग पर पाकिस्तान में कट्टरपंथी गुटों ने तीखा विरोध जताया. सरकार ने भी कानून से किसी तरह की छेड़छाड़ से इनकार किया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः महेश झा