मुंबई हमले के मददगार को 12 साल कैद
१४ अप्रैल २०१२जुबैर अहमद को सजा सुनाने वाले जज नील एच मैकब्रिज ने बताया, "26/11 का मुंबई हमला बहुत अच्छे से प्रशिक्षित आतंकियों ने किया था. जिन्हें लश्कर ए तैयबा ने पैरामिलिट्री ट्रेनिंग दी थी."
24 साल के जुबैर को लश्कर ए तैयबा की मदद करने और उसकी विचारधारा को ऑनलाइन और वीडियो के जरिए फैलाने का दोषी पाया गया. 12 साल कैद के बाद रिहाई होने पर उसे 7 साल सुपरविजन में रहना होगा. अमेरिका के वर्जीनिया में अदालत ने बताया, "जुबैर अहमद एलईटी के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध था और उसकी आतंकी विचारधारा को जुबैर ने ऑनलाइन फैला रहा था. उसने आतंकी गुट में लोगों को भर्ती करवाया. ऐसे संगठन के लिए पैसे इकट्ठे किए जो 2008 के मुंबई हमलों का जिम्मेदार है." जुबैर ने एलईटी कमांडो ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान लौटने की इच्छा भी जताई. अहमद ने माना कि उसने सितंबर 2010 में वुडब्रिज में रहते हुए लश्कर ए तैयबा बनाने वाले हाफिज सईद के लड़के ताल्हा सईद से संपर्क किया.
हाफिज सईद की गिरफ्तारी में मदद करने वाली किसी भी सूचना पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का ईनाम रखा है.
अदालती दस्तावेजों के मुताबिक ताल्हा ने अहमद से ऐसे वीडियो बनाने को कहा जिसमें हाफिज सईद की कई तस्वीरें हों और कश्मीर में मुजाहिदीन के कामों के बारे में जानकारी हो. दस्तावेजों के मुताबिक अहमद ने ताल्हा से पूछा कि क्या वह लश्कर की ताकत दिखाने के लिए 26/11 को हुए मुंबई हमलों की तस्वीरें भी दिखाना चाहता है. इस पर ताल्हा ने कहा कि मुंबई के बारे में इसमें कुछ भी शामिल न किया जाए.
सितंबर 2010 में ताल्हा ने ये वीडियो बना कर यू ट्यूब पर डाल दिए. जांच से पता चला है कि अहमद ने उसके कंप्यूटर पर यह वीडियो बनाए थे.
जुबैर अहमद की पैदाइश पाकिस्तान की है. वहां उसने आतंकी शिविरों में हिस्सा लिया. 2007 में उसे अमेरिका का वीजा मिला. तब वह अपने परिवार के साथ पाकिस्तान से अमेरिका चला गया. सहायक अटॉर्नी जनरल लीजा मोनैको ने कहा कि जुबैर अहमद के काम और लश्कर से उसके संबंध बताते हैं कि कैसे आतंकी गुट अपनी विचारधारा फैलाते हैं.
एएम/आईबी(पीटीआई)