मुफ्त में टूरिस्ट गाइ़ड
१० सितम्बर २०११पीली छतरी के नीचे खड़े 31 साल के टॉम मॉरिस पर्यटकों को अपनी तरफ खींच रहे हैं. टॉम मॉरिस एक टूरिस्ट गाइड हैं. लेकिन वह अपनी सेवा के लिए पैसे नहीं लेते हैं. सुबह 10.30 बज चुके हैं और प्राग के पुराने शहर में चर्च की मशहूर खगोलीय घड़ी के पास मॉरिस कड़ी धूप में पर्यटकों का इंतजार कर रहे हैं. मुफ्त में टूरिस्ट गाइड की सेवा देख धीरे-धीरे पर्यटक भी जानकारी जुटाने के लिए मॉरिस के नजदीक पहुंच रहे हैं.
मॉरिस वैसे तो उत्तरी वेल्स के रहने वाले हैं लेकिन पिछले एक साल से प्राग में मुफ्त टूरिस्ट गाइड का काम कर रहे हैं. चेक रिपब्लिक में जहां हर बात चेक में ही होती है, मॉरिस उन पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं जो चेक नहीं बोल पाते हैं. मॉरिस अंग्रेजी में प्राग की एतिहासिक इमारतों की कहानी सुनाते हैं.
मॉरिस के पास करीब 15 पर्यटक जमा हो गए हैं. अब मॉरिस अपनी मुफ्त में दी जाने वाली सेवा की शुरुआत करते हैं. मॉरिस सभी पर्यटकों को छोटे-छोटे कागज के टुकड़े देते हैं. इन कागज के टुकड़ों पर नंबर लिखे हुए हैं. इस नंबर के जरिए मॉरिस को पता चल जाता है कि फ्री में सेवा लेने वालों की संख्या कितनी है.
क्या है मुफ्त सेवा का राज
मॉरिस जैसे मुफ्त में पर्यटन कराने वालों की खास बात यह है कि लोग उन गलियों और इमारतों के बारे में जान पाते हैं जिनके बारे में किताब में पढ़कर समझना थोड़ा मुश्किल है. मॉरिस अपने पर्यटकों को सफर के दौरान प्राग से जुड़े सवाल पूछने का भी मौका देते हैं. मॉरिस कहते हैं, "किताब पढ़कर किसी इमारत के बारे में जान पाना तो मुमकिन है लेकिन हम जैसे लोग इसे थोड़ा रोमांचक बना देते हैं. अगर आपके जेहन में कोई सवाल है तो उसका जवाब शायद किताब न दे पाए लेकिन हमारी कोशिश रहती है कि पर्यटक हमारे काम से संतुष्ट हो पाए."
मॉरिस के साथ पुराने शहर की सैर के लिए अलग-अलग देश के नागरिक निकले हैं. कुछ भारतीय हैं, कुछ ब्रिटेन के हैं और कुछ स्पेन के. मॉरिस पुराने शहर की हर उस इमारत के पास पहुंचकर पर्यटकों को इतिहास बताते हैं जो पहले महत्वपूर्ण हुआ करती थी. मॉरिस रोजाना दो बार इस तरह की सेवा देते हैं. एक सुबह 11 बजे और फिर दोपहर 2 बजे. आम तौर पर यह टूअर दो से ढाई घंटे तक चलता है. टूअर का समय इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप अपने गाइड से कितने सवाल करते हैं और कितनी तेजी से गाइड के साथ कदम से कदम मिला पाते हैं.
शौक बना पेशा
दोपहर दो बजे की यात्रा आमतौर पर व्लातावा नदी के किनारे से शुरू होती है. नदी के किनारे बनी ऐतिहासिक इमारतों के बारे में गाइड पर्यटकों को जानकारी देते हैं. सुबह 11 बजे मॉरिस के साथ शुरू हुई यात्रा अब खत्म हो रही है. मॉरिस अपने पर्यटकों को ध्यान देने के लिए शुक्रिया अदा करते हैं. पर्यटक भी मॉरिस के काम से खुश होकर उन्हें टिप्स देते हैं. जिसकी जैसी हैसियत वह वैसी टिप्स देते है. कोई दो यूरो देता है तो कोई मॉरिस के काम से ज्यादा खुश होकर 5 यूरो तक दे जाता है.
मॉरिस को भी पर्यटन का शौक है और इसी शौक को अब वह पेशा बना चुके हैं. हफ्ते में कुछ दिन वह प्राग में अंग्रेजी भी पढ़ाते हैं. मॉरिस की ही तरह 11 और लोग मुफ्त में टूरिस्ट गाइड का काम करते हैं. मॉरिस कहते हैं कि वह रोजाना 20 से 80 यूरो तक टिप्स के जरिए कमा लेते हैं. मॉरिस की चाहत है कि वह फ्रांस या फिर स्पेन में बसें. अगर वहां कुछ ढंग का काम न मिले तो उन्हें मुफ्त में टूरिस्ट गाइड बनने में कोई ऐतराज नहीं.
रिपोर्ट: आमिर अंसारी
संपादन: वी कुमार