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मैंने एक दोस्त खो दिया: मनमोहन सिंह

२४ दिसम्बर २०१०

के करुणाकरण का जाना एक ऐसे राजनेता का चले जाना है दिल और दिमाग दोनों से राजनीति करता रहा. भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कई राजनेताओं और हस्तियों ने करुणाकरण को श्रद्धांजलि दी.

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तस्वीर: AP

मनमोहन सिंह ने अपने शोक संदेश में कहा कि उन्हें करुणाकरण के साथ काम करने और उनके अनुभव और समझ से सीखने का मौका कई बार मिला. उन्होंने कहा, "वह एक ऐसे कांग्रेसी थे जिनका दिल और दिमाग से सोचने के उनके गुणों के लिए सम्मान होता था. वह एक सच्चे देशभक्त थे जिन्होंने देश और केरल की पूरी निष्ठा और उत्साह के साथ सेवा की." छह दशक लंबे अपने राजनीतिक करियर में करुणाकरण चार बार केरल के मुख्यमंत्री रहे. 1990 के दशक में वह केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. गुरुवार को उनका 93 साल की उम्र में निधन हो गया.

मनमोहन सिंह शनिवार को करुणाकरण के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेंगे. अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा कि करुणाकरण ने जो भी पद संभाला उस पर खुद को बेहतरीन साबित किया. वह तीन बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा के सदस्य रहे. प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझे करुणाकरण के साथ काम करने का और उनसे सीखने का मौका मिला. सलाह देने में वह हमेशा बड़ा दिल रखते थे. मैं हमेशा उन्हें एक वरिष्ठ नेता और एक करीबी दोस्त के रूप में याद करूंगा."

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने भी कांग्रेस नेता के निधन पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि देश ने एक ऐसी शख्सियत खो दी है जो हमेशा जमीन से जुड़ी रही. उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भी करुणाकरण को श्रद्धांजलि दी.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने करुणारण को राष्ट्रीय एकता की धर्मनिरपेक्ष आवाज बताया. उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी ने न सिर्फ केरल का बल्कि राष्ट्रीय स्तर का एक नेता खोया है. पार्टी ने एक ऐसा महान नेता खो दिया है जिसकी गैरमौजूदगी पूरे देश के कांग्रेसी महसूस करेंगे."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए जमाल

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