म्यूनिख में बीयर प्रेमियों का मेला शुरू
१७ सितम्बर २०११जर्मन राज्य बवेरिया की राजधानी म्यूनिख की वादियों में बीयर की मदमाती गंध महक रही है. बर्फ से ढंकी चोटियों की तलहटी पर विशाल तंबू गड़े हैं. इन्हीं तंबूओं के भीतर लोगों की भीड़ के बीच से बचते बचाते हाथ में एक साथ 8-10 बड़े गिलास लिए वेटर आते हैं. उनकी वेशभूषा पांरपरिक होती है.
टेबल पर बीयर रखते ही 'प्रॉस्ट' कहा जाता है. जर्मनी में 'चीयर्स' की जगह लोग 'प्रॉस्ट' कहते हैं. प्रॉस्ट कहते ही टेबल पर बैठे हुए सभी लोग एक दूसरे की आंखों में आंखें डालते हैं और पहली चुस्की लेते हैं. जर्मनी में कहा जाता है कि प्रॉस्ट कहते समय निगाहें मिलाने से सेक्स लाइफ बेहतर बनी रहती है. जो नजरे चुरा लेता है, कहा जाता है कि उसकी सेक्स लाइफ सात साल तक मुश्किल में रहती है.
दुनिया भर में मशहूर म्यूनिख का यह बीयर फेस्टिवल इस बार 17 दिन तक चलेगा. लेकिन इस बार महंगाई भी कुछ ज्यादा है. एक गिलास बीयर की कीमत बीते साल के मुकाबले 3.6 फीसदी बढ़ चुकी है. यह पहला मौका है जब एक गिलास बीयर 9.20 यूरो में मिलेगी. बीते साल कीमत 8.60 यूरो थी.
लेकिन पर्यटकों के लिए या बीयर और म्यूनिख के दीवानों के लिए यह कीमत परेशान करने लायक नहीं है. एक बार अजमाइश तो की ही जा सकती है. अक्टूबर फेस्ट की खास बात यह भी है कि यहां युवा बड़े बड़े झुंडों में आते हैं. खुश मिजाज माहौल में बीयर बीते हैं और फिर म्यूनिख के पारंपरिक संगीत में नाचते हैं. नाचते वक्त हाथ कमर रखे जाते हैं और हंसते गाते लोग बारी बारी से बायां और दायां पैर हवा में झुलाते हैं.
म्यूनिख के टूरिस्ट ऑफिस के मुताबिक 2010 के अक्टूबर फेस्ट में 64 लाख लोग आए और 71 लाख लीटर बीयर डकार गए. करीब 90 हजार लीटर वाइन पी गई. पीने के शौकीनों का आलम यह था कि पानी सिर्फ 10 लाख लीटर ही पिया गया. यह कारनामा करने वालों में 60 फीसदी म्यूनिखवासी थे. पर्यटकों में ब्रिटेन, अमेरिका और इटली के लोग ज्यादा दिखाई पड़ते हैं.
आतंकवादी खतरे को देखते हुए इस बार सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि हमले की कोई ठोस आशंका नहीं है.
अक्टूबर फेस्ट का इतिहास सदियों पुराना है. 1810 में राजकुमार लुडविग की थेरेसे जाख्सन हिल्डबुर्गहाउजन से शादी हुई. शादी का जलसा ऐसा हुआ कि त्योहार हो गया. तब से ही हर साल राजकुमार की शादी की सालगिरह के मौके पर फेस्ट का आयोजन किया जाने लगा. हालांकि बीच में 20 साल ऐसे भी गुजरे जब अक्टूबर फेस्ट नहीं मनाया गया. प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध की मार अक्टूबर फेस्ट ने भी देखी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एन रंजन