यमन में भी हालात ट्यूनिशिया जैसे
२१ जनवरी २०११बीते सप्ताह ट्यूनिशिया में लोगों के प्रदर्शन के बाद हुए सत्ता परिवर्तन ने कई अरब देशों में भी सरकार विरोधी प्रदर्शनों को हवा दी. इसी हफ्ते की शुरुआत में यमन में लोगों ने बड़े विरोध प्रदर्शन किए. इसके बाद सरकार ने राजनीतिक सुधारों का एलान किया. लेकिन गुरुवार को लोगों ने इन सुधारों को नाकाफी बताते हुए खारिज कर दिया. विपक्षी दलों ने कहा है कि वे शनिवार को बैठक करके इन सुधारों पर चर्चा करेंगे.
ट्यूनिशिया जैसे हालात
यमन में भी स्थिति ट्यूनिशिया जैसी ही है. ट्यूनिशिया में पूर्व राष्ट्रपति बेन अली ने 23 साल तक राज किया. इसी तरह यमन में भी राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह तीन दशक से ज्यादा समय से सत्ता पर काबिज हैं. ट्यूनिशिया में लोगों के विरोध को मिली सफलता से यमन का विपक्ष भी उत्साहित है. विपक्षी गठबंधन और इस्लामिक पार्टी इस्लाह के अध्यक्ष मोहम्मद अल साबरी ने कहा, "हम संविधान में संशोधन चाहते हैं, लेकिन हमें ऐसे संशोधन नहीं चाहिए जिनसे शासक की सत्ता बनी रहे और फिर यह उसके बच्चों के पास चली जाए."
साबरी ने कहा कि भ्रष्ट नेताओं को सत्ता में बने रहने की इजाजत नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा, "हम देश के लिए सड़कों पर सोने को तैयार हैं. हम हर हाल में इसे भ्रष्ट लोगों के हाथों से आजाद कराना चाहते हैं."
सुधार नाकाफी
राष्ट्रपति सालेह की पार्टी जनरल पीपल्स कांग्रेस ने कई सुधारों की पेशकश करके लोगों का गुस्सा शांत करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच से सात वर्ष तय किया जा सकता है. और एक व्यक्ति के दो से ज्यादा बार राष्ट्रपति बनने पर भी रोक लगाई जा सकती है. सभी वयस्कों के वोटर रजिस्ट्रेशन का भी प्रस्ताव है.
लेकिन तायज शहर में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि इन सुधारों से यह सुनिश्चित नहीं होता कि सालेह दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनेंगे.
यमन के दक्षिणी हिस्से में पहले भी अलगाववादी ताकतें सिर उठाती रही हैं. उसी हिस्से में विरोध प्रदर्शन ज्यादा हो रहे हैं. बंदरगाह शहर आदेन में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बेरोजगारी और आर्थिक समस्याओं के खिलाफ नारे लगाए. वहां कई जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झगड़े भी हुए. उत्तर में राजधानी सना में भी लोगों ने प्रदर्शन किए लेकिन उनमें अलगाववादी भावना नहीं थी.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार