यूरोपीय मुस्लिमों तक पहुंची सीरिया की आग
१५ मार्च २०१२बेल्जियम का मुस्लिम समुदाय मस्जिद पर हमले की घटना से सदमे में है. इसमें मस्जिद के इमाम की मौत हो गई और दो लोग घायल हो गए. संदिग्ध खुद को मुस्लिम बताता है और उसने जांच अधिकारियों से कहा कि वो शिया समुदाय के लोगों को डराना चाहता है जो सीरिया में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों के दमन के लिए जिम्मेदार बताए जाते हैं.
जांच अधिकारियों के प्रवक्ता ज्यां मार्क माइलेयर के मुताबिक पूछताछ के दौरान संदिग्ध ने कहा, "वह सीरिया में जो कुछ हो रहा है उसकी तस्वीरें देख कर सदमे में है और ऐसा कुछ करना चाहता था जिससे कि इसके लिए जिम्मेदार समुदाय को डराया जा सके." इस शख्स की उम्र लगभग 35 साल बताई जा रही है और उसने खुद को सुन्नी मुसलमान बताया है. पुलिस ने उसे ऐसी आगजनी करने के आरोप में हिरासत में लिया जिसकी वजह से किसी की जान भी गई है. इसने पुलिस को बताया कि उसने ये कदम खुद उठाया. दो हफ्ते पहले उसने हमला करने का फैसला किया और उसका इरादा किसी की जान लेने का नहीं था. उसने यह भी कहा कि अगर पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया होता तो वह समर्पण कर देता.
पहचानने की कोशिश
गृह मंत्री ने बताया कि जांच अधिकारी संदिग्ध की पहचान साबित करने की कोशिश कर रहे हैं. उसने अधिकारियों को तीन अलग अलग नाम बताए. साथ ही यह भी कि वो बेल्जियम में गैरकानूनी तरीके से आया है. गृह मंत्री ने बताया, "उसने कहा कि उसके पास मोरक्को का पासपोर्ट है और वह बेल्जियम में रहता है लेकिन कहां यह नहीं बताया." संदिग्ध पर "आतंकवादी कार्रवाई को अंजाम" देने के आरोप भी लगाए जा सकते हैं.
ब्रसेल्स की जिस मस्जिद में आग लगाई गई, वो शियाओं के चार प्रमुख धार्मिक केंद्रों में है. रिदा मस्जिद में आग लगने के तुरंत बाद करीब 100 लोग जमा हो गए और नारे लगाने लगे. शहर में सुन्नी समुदाय के लोगों की तादाद ज्यादा है और ज्यादातर दूसरे देशों से यहां आए हैं. इससे पहले 1989 में ब्रसेल्स में एक इमाम पर हमला हुआ था. तब सऊदी अरब के अब्दुल्लाह मुहम्मद अल अहदाल की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इस इमाम ने भारतीय मूल के लेखक सलमान रुश्दी के खिलाफ मौत के फतवे का विरोध किया था. अल अहदाल की हत्या की जिम्मेदारी लेबनान के ईरान समर्थक गुट ने ली थी.
क्यों किया हमला
ताजा मामले में गिरफ्तार शख्स का नाम नहीं बताया गया है. बेल्जियम के शिया और सुन्नी समुदाय के लोगों ने आपस में मिल कर आगजनी के बाद शांति बनाए रखने के लिए बातचीत की. बेल्जियम के गृह मंत्री जोएले मिल्क्वेट ने धार्मिक तनाव को इसकी वजह माना है. मिलक्वेट ने कहा, "यह शिया और सुन्नियों के बीच की समस्या लग रही है. बेल्जियम इस तरह की घटना या फिर इस तरह के विवादों को अपनी जमीन पर नहीं आने देगा." इसके साथ ही गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसी हरकतें दोबारा न हों इसके लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे.
इस्लाम में शिया और सुन्नी समुदाय की सदियों पुरानी कड़ुवाहट ने कई मुस्लिम देशों में तनाव और हिंसा को बढ़ाया है. इनमें इराक से लेकर यमन तक और सीरिया से लेकर पाकिस्तान तक के मुल्क शामिल हैं. हालांकि मुस्लिम एग्जिक्यूटिव ऑफ बेल्जियम गुट की उपाध्यक्ष इसाबेले प्रायले देश के बाहर होने वाले किसी विवाद और आगजनी के बीच कोई कड़ी नहीं देखतीं उन्होंने इसे एक "अलग घटना" माना है. उन्होंने जोर दे कर कहा कि दोनों समुदाय ब्रसेल्स में शांति से रहते हैं, हालांकि इसके साथ ही उन्होंने श्रद्धालुओं के लिए ज्यादा सुरक्षा की मांग की. उन्होंने माना कि इस तरह की घटना ने शिया लोगों के मन में असुरक्षा की भावना जगाई है.
ब्रसेल्स दुनिया का पहला ऐसा मुल्क है जिसने बुर्के पर पाबंदी लगाई. यह पाबंदी अब फ्रांस में भी लागू हो गई है और यूरोप के कुछ और देश भी इस तरह की पाबंदी लगाने पर विचार कर रहे हैं. हालांकि जिस वक्त में यह हमला हुआ है उसके कई दूसरे पहलुओं पर भी जानकार गौर कर रहे हैं. सिर्फ सीरिया की ही बात नहीं है फ्रांस जैसे देशों में चुनाव दस्तक दे रहा है और विश्लेषक इस बात की भी कड़ियां मिलाने की कोशिश कर हैं कि कहीं यूरोप की अंदरूनी राजनीति और उसमें प्रवासियों की भूमिका तो इसके पीछे नहीं.
रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन
संपादनः ए जमाल