येरुशलम पर यूएन के प्रस्ताव को अमेरिका ने वीटो किया
१९ दिसम्बर २०१७ट्रंप के इस फैसले का ब्रिटेन और फ्रांस सहित सुरक्षा परिषद के अन्य 14 सदस्य भी विरोध कर रहे हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थाई प्रतिनिधि निकी हेली ने सोमवार को यूएन के इस प्रस्ताव को निरस्त करने के लिए वीटो का इस्तेमाल किया.
अमेरिका ने ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार वीटो का इस्तेमाल किया है. अमेरिका ने आखिरी बार वीटो का इस्तेमाल 2011 में किया था. उस वक्त येरुशलम और उसके क्षेत्रों में इस्राएली बस्तियों के निर्माण की आलोचना करने वाले प्रस्ताव के खिलाफ वीटो किया गया था
मिस्र द्वारा प्रायोजित इस प्रस्ताव में येरुशलम पर ट्रंप के फैसले पर खेद प्रकट किया गया और अन्य देशों से अपने दूतावास तेल अवीव से येरुशलम नहीं ले जाने का आह्वान किया.
हालांकि, इस प्रस्ताव में अमेरिका और ट्रंप का स्पष्ट तौर पर नाम नहीं लिया गया.
इस प्रस्ताव में अरब-इस्राएल विवाद के द्विराष्ट्र समाधान पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को भी खत्म करने का आह्वान किया गया.अरब राजदूतों ने भारत से येरुशलम पर पूछा सवाल
इस प्रस्ताव को पेश करते हुए संयुक्त राष्ट्र में मिस्र के स्थाई प्रतिनिधि अमर अब्देलातीफ अब्दुलात्ता ने कहा कि अमेरिका का यह फैसला इस्राएल के कब्जे वाले क्षेत्रों की मान्यता के सुरक्षा परिषद की प्रस्तावना का उल्लंघन है.
हेली ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग को अपमान बताया.
निकी हेली ने कहा, "यह वीटो अमेरिका की संप्रभुता की रक्षा और मध्यपूर्व शांति प्रक्रिया में अमेरिका की भूमिका का बचाव करता है."
ट्रंप ने अपने दामाद और सलाहकार जेयर्ड कुश्नर को इस्राएल और फिलस्तीन के बीच शांति प्रक्रिया की मध्यस्थता करने का जिम्मा सौंपा है.
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के स्थाई प्रतिनिधि मैथ्यू रायक्रॉफ्ट ने कहा कि येरुशलम को इस्राएल की राजधानी की मान्यता देने के ट्रंप के फैसले का कोई कानूनी प्रभाव नहीं था और उनका देश इससे असहमत है.
इस्राराएल के स्थाई प्रतिनिधि डैनी डैनन ने कहा कि ट्रंप ने इस तथ्य को मान्यता दी है कि येरुशलम, इस्राएल की राजधानी है जो पिछले 3,000 साल से है.
आईएएनएस