योजना के तहत हुआ हमलाः अमेरिका
१३ सितम्बर २०१२अमेरिकी राजदूत क्रिस्टोफ स्टीवेंस की जान तब गयी जब मंगलवार रात बेनगाजी में भीड़ ने कॉन्सुलेट पर हमला बोल दिया. भीड़ एक अमेरिकी फिल्म के कारण गुस्से में थी. हमलावरों का मानना है कि 'इनोसेंस ऑफ मुस्लिम्स' नाम की फिल्म में पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया गया है.
राष्ट्रपति ओबामा ने कहा है कि उन्होंने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं. हालांकि ओबामा ने यह भी सुनिश्चित किया है कि हमले के कारण अमेरिका और लीबिया के संबंधों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा. हमले की खबर आने के फौरन बाद दुनिया भर में अमेरिकी दूतावासों के चारों ओर सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. लीबिया में अधिकारियों का कहना है कि हमला सैन्य तरीके से किया गया. पहले कॉन्सुलेट में तोड़फोड़ की गयी और फिर आगजनी. हमलावरों के पास बंदूकें और ग्रेनेड भी थे. लीबियाई और अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि हमला सोची समझी योजना के तहत किया गया.
अमेरिका इसे 9/11 की 11वीं वर्षगांठ से भी जोड़ कर देख रहा है. हमलावरों में इस्लामी संगठन अंसार अल शरीया के सदस्यों के होने की बात कही गयी है. अंसार अल शरीया को अल कायदा का समर्थक माना जाता है. इसके अलावा ऐसी भी खबरें हैं कि अफ्रीका में अल कायदा का समर्थन करने वाले संगठन इस्लामी मगरेब का भी हमले में हाथ है.
दूसरे देशों में भी
मंगलवार को ही काहिरा में भी अमेरिकी दूतावास पर हमला हुआ. टीवी पर चल रही खबरों में दूतावास के बाहर सैकड़ों लोगों को प्रदर्शन करते देखा गया. प्रदर्शनकारियों ने दूतावास के बाहर अमेरिका के झंडे को फाड़ा और जलाया. जब भीड़ पथराव करने लगी तो उस पर काबू पाने के लिए पुलिस को आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा. इसके अलावा कई दूसरे देशों में भी दूतावास के बाहर लोगों को प्रदर्शन करते देखा गया. ट्यूनीशिया में भी पुलिस को आंसू गैस का प्रयोग करना पडा. इसी तरह सूडान में सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया. मोरक्को में भी अमेरिका के झंडे जलाए गए.
राजदूत क्रिस्टोफ स्टीवेंस की मेडिकल जांच में पता चला है कि उनकी धुएं के कारण दम घुटने से जान गयी. 1979 के बाद से यह किसी अमेरिकी राजदूत की हत्या का पहला मामला है. उस समय अडोल्फ डब्स की अफगानिस्तान में अपहरण की कोशिश के दौरान जान चली गयी थी.
आईबी/एनआर (रॉयटर्स)