रतन टाटा ने भी की सुधारों की मांग
१९ जुलाई २०१२टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मांग की है कि वे सरकार का भरोसा कायम करें और देश को तरक्की की राह पर ले जाने के लिए उन सुधारों को लागू करें जिसका वादा किया गया था.
रतन टाटा ने माना है कि बीते महीनों में निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है और महंगाई बढ़ी है. हालांकि इन सबके लिए उन्होंने सीधे सीधे केवल प्रधानमंत्री को ही दोषी मानने से इनकार कर दिया और ऐसा करने वालों को भी खरी खरी सुनाई है. 100 अरब डॉलर से ज्यादा बड़े कारोबारी समूह के प्रमुख रतन टाटा ने विपक्ष, मीडिया और "सत्ताधारी पार्टी के कुछ सदस्यों" पर प्रधानमंत्री को सारी गड़बड़ियों का अकेला जिम्मेदार बताने पर भी कड़ी आपत्ति जताई है.
ट्विटर के जरिए रतन टाटा ने कहा है, "अब वक्त आ गया है जब प्रधानमंत्री को मौजूदा दस्तूर को तोड़ कर सरकार के भरोसे को कायम करना चाहिए और सुधार के उन वादों को पूरा करना चाहिए जिससे विकास के रास्ते की बाधाएं दूर हों और देश को तरक्की के रास्ते पर लाया जाए." रतन टाटा ने कहा है, "सरकार के कदम बहुत छोटे और बहुत देर से उठ रहे हैं." टाटा ने कहा है कि पिछले 12 महीनों में निवेश का भरोसा नीचे जाने और महंगाई बढ़ने से विकास की रफ्तार खत्म हो गई है.
भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक टाटा ने देश की खराब हालत के लिए केवल प्रधानमंत्री को दोषी ठहराने की भी आलोचना की. उन्होंने साफ साफ लिखा है, "केवल प्रधानमंत्री पर आरोप लगाना पूरी तरह से गुमराह करने वाली बात है. भारत पर हो रहे हमलों को देख निराशा होती है और इस बात की जरूरत महसूस हुई कि अपनी भावनाओं को जाहिर करूं."
प्रधानमंत्री के समर्थन में सामने आ कर रतन टाटा ने कहा, "यह बहुत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि पिछले कुछ महीनों में विपक्ष, मीडिया और कुछ लोगों ने निजी तौर पर यहां तक कि सत्ताधारी पार्टी के कुछ सदस्यों ने प्रधानमंत्री के बारे में निर्दयता से बोला और लिखा है- ऐसे शख्स के बारे में जो 91 में शुरू हुए सुधारों का शिल्पकार रहा है, जिसकी वजह से देश में आर्थिक समृद्धि आई और हमारे देश को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली."
इसके साथ ही टाटा ने लिखा है कि इन लोगों ने इस सच्चाई को नजरअंदाज किया है कि प्रधानमंत्री ने हमारे देश का नेतृत्व बड़ी ही गरिमा और ईमानदारी के साथ किया है.
सुधार की मांग करने वालों में रतन टाटा पहले शख्स नहीं हैं. देश के उद्योग जगत के साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी यूपीए सरकार से सुधारों को लागू करने की उम्मीद लगाए बैठा है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी भारत सरकार से सुधारों को लागू कर विदेशी निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने की मांग की. अमेरिका के एक थिंक टैंक ने भी भारत के रक्षा क्षेत्र में पर्याप्त विदेशी निवेश को मंजूरी देने की मांग की है. पिछले एक साल से देश में एक तरफ निवेश की रफ्तार सुस्त पड़ी है तो दूसरी तरफ उतनी ही तेजी से महंगाई बढ़ी है. विकास के रास्ते पर छलांगें मार रही भारत की अर्थव्यवस्था अचानक से सुस्त पड़ गई है. यूरोप के कर्ज संकट और अमेरिका की मंदी से जूझ रही दुनिया को भारत के विकास और विशाल बाजार से बड़ी उम्मीदें हैं.
एनआर/एमजे (पीटीआई)