राना: डॉक्टर से आतंक तक का सफर
१० जून २०११आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा की मदद करने का दोषी तहव्वुर हुसैन राना मूल रूप से सेना का एक चिकित्सक था, जिसने बाद में लश्कर के अभियानों के लिए मुंबई में वीजा सुविधा के लिए एक कार्यालय खोला. 50 वर्षीय राना के मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खिया बटोरीं, क्योंकि उसके मुकदमे से मुंबई हमला केस में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका के बारे में कई खुलासे हुए. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जन्मे राना की शिक्षा सेना के रिहायशी कॉलेज, कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल से हुई. इसके बाद राना कनाडा का नागरिक बन गया.
आतंक का डॉक्टर !
हेडली ने भी इसी कॉलेज से पढ़ाई की. मेडिकल की डिग्री लेने के बाद, राना पाकिस्तान की सेना की मेडिकल कोर में शामिल हुआ. उसने सऊदी अरब में खाड़ी युद्ध में सेवाएं दीं और वहां घायल होने के बाद इलाज के लिए जर्मनी चला आया. इसके बाद राना की सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में तैनाती हुई. उसने वहां जाने से इनकार कर दिया. इस पर सेना ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया जिसके बाद वह अपने देश में दोबारा जा नहीं सकता था. राना और उसकी चिकित्सक पत्नी समराज ने 2001 में कनाडा की नागरिकता ले ली. साल 2009 में अपनी गिरफ्तारी के पहले तक वह शिकागो में रहते हुए इमेग्रेशन बिजनेस और ट्रेवल एजेंसी चला रहा था.
हेडली के बचपन का दोस्त
इससे तीन साल पहले, उसने अपने बचपन के दोस्त हेडली की मुंबई में एक इमेग्रेशन सर्विस खोलने में भी मदद की. आरोप लगाए जा रहे थे कि इस कार्यालय को मुंबई में हमलों के संभावित ठिकानों की गुप्तचरी और टोह के लिए खोला गया था. हेडली ने पिछले साल यह स्वीकार कर लिया था कि उसके लश्कर और आईएसआई के साथ संबंध थे.
रिपोर्ट: पीटीआई/आमिर अंसारी
संपादन: उभ