रिएक्टर को तोड़ दिया जाना चाहिए: नाओतो कान
३१ मार्च २०११11 मार्च को आए भूकंप और सूनामी ने फुकुशिमा न्यूकलियर रिएक्टर को भारी नुकसान पहुंचाया है. तब से जापान परमाणु संकट से जूझ रहा है जो 1986 के चेरनोबिल संकट के बाद सबसे भयानक है. अब तक भी इस संकट को हल नहीं किया जा सका है लिहाजा रिएक्टर को तोड़ देने की बात होने लगी है.
खाली कराओ इलाका
फुकुशिमा से निकल रहे विकिरण का दायरा और खतरा दोनों बढ़ रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि विकिरण समुद्र के रास्ते दूर तक जा रहा है. समुद्र के पानी में विकिरण का स्तर अब चार हजार गुना से भी ज्यादा हो चुका है. इसलिए जापान पर दबाव बढ़ रहा है कि खाली कराए जा रहे इलाके का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु एजेंसी आईएईए और जापान की परमाणु सुरक्षा एजेंसी, दोनों का कहना है कि खाली कराए जाने वाले इलाके का दायरा कम से कम 20 किलोमीटर तक बढ़ाया जाना चाहिए. परमाणु संकट शुरू होने के तीन हफ्ते बाद भी इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है जबकि विकिरण का स्तर कहीं ज्यादा बढ़कर दूर तक फैल चुका है. इसलिए विपक्षी दल भी सरकार की आलोचना कर रहे हैं.
सबसे महंगी आपदा
जापान को भूकंप, सूनामी और फिर परमाणु संकट का नुकसान अब और ज्यादा नजर आने लगा है. जापान की ज्यादातर कंपनियों में उत्पादन मार्च महीने में बहुत ज्यादा गिरा है क्योंकि फैक्टरियां बंद रहीं और सप्लाई को भी नुकसान हुआ.
दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था जापान को को सिर्फ भूकंप और सूनामी से 300 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है. जापान की यह आपदा अब तक की सबसे महंगी कुदरती आपदा बन चुकी है. एक वॉल स्ट्रीट इन्वेस्टमेंट बैंक के मुताबिक इस आपदा के बाद मुआवजे के दावे ही 130 अरब डॉलर से ज्यादा के हो सकते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः आभा एम