लंदन ओलंपिक में जुनून की दौड़
४ अगस्त २०१२स्टेडियम के एक कोने में धरती के सबसे तेज इंसान की जंग शुरू हो रही थी, जिसमें जमैका के उसैन बोल्ट से लेकर असाफा पावेल और योहान ब्लेक का मुकाबला होना था, तो दूसरी तरफ 400 मीटर की क्वालिफाइंग रेस. ओलंपिक के इतिहास में पहली बार कोई ऐसा शख्स दौड़ रहा था, जिसकी दोनों टांगें नहीं हैं और वह धातु के ब्लेड से बनी टांगों पर दौड़ता है. पिस्टोरियस ने पहली हीट में शानदार दौड़ लगाई. दूसरा स्थान हासिल किया और सेमीफाइनल के लिए चुन लिए गए.
स्टेडियम में बैठी 80,000 जनता ने खड़े होकर तालियां बजाईं. पिस्टोरियस ने विजयी मुस्कान दी. उनकी खुशी का ठिकाना न रहा, "आज का अद्भुत अनुभव रहा. मैं तो शुरुआत में ही खुद को मुस्कुराता हुआ महसूस कर रहा था. यह कभी कभी ही होता है." उन्होंने 45.44 सेकंड का समय लिया, जो शायद अंत में उन्हें पदक दिलाने के लिए काफी नहीं होगा पर जब उद्घोषक ने इस बात का एलान किया कि यह "ब्लेड रनर" पिस्टोरियस हैं, तो माहौल भावुक हो उठा.
संघर्ष भरी यात्रा
26 साल के पिस्टोरियस ने लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय खेल संस्थाओं से संघर्ष किया कि उन्हें दूसरे खिलाड़ियों के साथ मुकाबले की इजाजत दी जाए. आखिरकार जब उन्हें अनुमति मिली तो भी हील हुज्जत करने वालों की कमी न थी. कई लोगों ने आरोप लगाया कि कार्बन ब्लेड की वजह से पिस्टोरियस को फायदा मिलता है और वह दूसरे धावकों से तेज दौड़ सकते हैं. हालांकि उन्होंने कभी इन बातों की परवाह नहीं की. उन्हें पिछली बार के बीजिंग ओलंपिक में भी खेलने की अनुमति मिल गई थी लेकिन वह क्वालीफाई नहीं कर पाए.
पिस्टोरियस ने नम आंखों से कहा, "मैंने यह जगह पाने के लिए छह साल का समय का संघर्ष किया." इस हीट में 45.04 सेकंड का समय निकाल कर डोमिनिक रिपब्लिक के लुगेलिन सांतोस ने पहला स्थान हासिल किया लेकिन उन्होंने कहा कि यह बात उन्हें भी पता थी कि रेस उनके लिए नहीं, पिस्टोरियस के लिए है.
सलाम करता जमाना
विश्व चैंपियन किरानी जेम्स ने पिस्टोरियस को गले लगा लिया. उनका कहना है, "मैं उन्हें झुक कर सलाम करता हूं कि वह यहां आए और मुकाबले में हिस्सा ले रहे हैं. मैं उन्हें सिर्फ दूसरे साधारण एथलीट की तरह देखता हूं. इससे ज्यादा मैं उन्हें एक दूसरे व्यक्ति के रूप में देखता हूं. मैं उनका सम्मान करता हूं."
एकल प्रतियोगिता में तो शायद पिस्टोरियस को पदक तालिका तक जगह न मिल पाए लेकिन संभावना है कि 4X400 मीटर की रेस में वह दक्षिण अफ्रीकी टीम के साथ पोडियम पर चढ़ जाएं.
देशवासी खुश हुए
उधर, दक्षिण अफ्रीका भी आज पिस्टोरियस की वजह से फूले नहीं समा रहा था. जोहानिसबर्ग में 29 साल के सिफोसो मागागुले खुद को गौरवांवित महसूस कर रहे हैं, "ऐसे खेल में क्वालीफाई करना, जो अमेरिकीयों और जमैका वालों के लिए मशहूर है, बड़ी बात है. मैं उन पर गर्व महसूस करता हूं."
सरकार ने इस रेस को देखने के लिए विशालकाय टेलीविजन पर्दे लगाए थे. यहां पहुंचे जेसन हैंडल का कहना है, "यह ऐतिहासिक क्षण है कि कोई बिना टांगों वाला खिलाड़ी आम धावकों के साथ रेस कर रहा है."
एजेए/एनआर (एपी, एएफपी)