लड़कियों को बदलते रिएलिटी टीवी शोः रिसर्च
१८ अक्टूबर २०११इस रिसर्च के मुताबिक नियमित रिएलिटी शो देखने वाली ज्यादातर लड़कियों के लिए लोगों के चेहरे मोहरे अहम होते हैं. वे खुद को रोल मॉडल और नायिकाओं जैसा समझने लगती हैं. अमेरिका के गर्ल्स स्काउट की रिसर्च शाखा ने यह अध्ययन किया है.
क्या क्या सोचती हैं लड़कियां
अप्रैल में हुई इस रिसर्च में 11 से 17 साल की 1,141 लड़कियों को शामिल किया गया. गर्ल स्काउट रिसर्च इंस्टिट्यूट की सीनियर रिसर्चर किंबरली सैलमंड कहती हैं, "हमें बिल्कुल नहीं पता था कि क्या नतीजे होंगे. हम खुद हैरान हैं कि रिएलटी टीवी देखने वाली और न देखने वाली लड़कियों में इतना फर्क है. हैरत की बात यह भी है कि आमतौर पर ज्यादातर लड़कियां समझती हैं कि रिएलिटी टीवी सच होता है और इसे ज्यों का त्यों पेश किया जाता है."
रिएलिटी टीवी नया नहीं है. यह उतना ही पुराना है जितना टीवी खुद है. शुरुआत में लंबे समय तक रिएलटी टीवी गेम शो तक ही सीमित रहे. लेकिन पिछले एक दशक में केबल और सैटेलाइट चैनलों की बाढ़ आने के बाद से रिएलिटी शो पूरी दुनिया में तेजी से फैले हैं. इसकी बड़ी वजह है कि स्क्रिप्ट लिखकर बाकायदा तैयार किए गए प्रोग्रामों के मुकाबले ये सस्ते होते हैं. और फिर इनके कॉन्सेप्ट पूरी दुनिया में काम करते हैं. मसलन नीदलैंड्स के बिग ब्रदर और ब्रिटेन के स्ट्रिक्टली कम डांसिग के कॉन्सेप्ट पर बने शो दर्जनों देशों में दिखाए जा रहे हैं.
टीवी सबसे जरूरी
सैलमंड बताती हैं कि अमेरिका में टीवी देखना लड़कियों का सबसे बड़ा काम है. कई बार तो इसकी अवधि हफ्ते में 12 घंटे तक होती है. वह बताती हैं, "टीवी देखने में बिताया गया वक्त घर के काम, दोस्तों से मिलने जुलने और यहां तक कि सोशल नेटवर्किंग से भी कहीं ज्यादा है."
सैलमंड के मुताबिक पूरे अमेरिकी समाज के प्रतिनिधि के तौर पर जिन लड़कियों को रिसर्च में शामिल किया गया उनमें से लगभग आधी रिएलिटी टीवी की रोजाना की दर्शक हैं. और उन लड़िकयों का जीवन के प्रति नजरिया दूसरे टीवी प्रोग्राम पसंद करने वाली लड़कियों से जुदा है. मिसाल के लिए रिएलिटी टीवी देखने वाली 78 फीसदी लड़कियां मानती हैं कि लड़कियों के रिश्तों में गॉसिप करना आम बात है. रिएलिटी टीवी शो न देखने वाली लड़कियों में से सिर्फ 54 फीसदी ऐसा मानती हैं.
68 फीसदी लड़कियों को लगता है कि एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करना लड़कियों के स्वभाव का हिस्सा है और 63 फीसदी ने माना कि बाकी लड़कियों पर भरोसा करना मुश्किल होता है. रिएलिटी टीवी न देखने वाली लड़कियों में सिर्फ 50 फीसदी ऐसा सोचती हैं.
झूठ बोलना भी सही
रिसर्च के मुताबिक रिएलिटी टीवी की चहेती लड़कियों में ऐसा मानने वाली ज्यादा होती हैं कि उन्हें लड़कों का ध्यान पाने के लिए एक दूसरे से मुकाबला करना चाहिए. और यह भी कि डेट पर जाना और बॉयफ्रेंड उन्हें खुश रखते हैं.
इस रिसर्च में लड़कियों के नकारात्मक पहलुओं का भी अध्ययन किया गया. इसके मुताबिक जो लड़कियां रिएलिटी शो नियमित रूप से देखती हैं उनमें से 37 फीसदी मानती हैं कि अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए झूठ बोलना ही पड़ता है. इतनी ही लड़कियां मानती हैं कि कमीनेपन से इज्जत बढ़ती है. रिएलिटी टीवी न देखने वाली लड़कियों में भी ऐसा मानने वाली हैं लेकिन सिर्फ 24-25 फीसदी. ऐसे शो की दीवानी 28 फीसदी लड़कियों ने कहा कि मनचाहा पाने के लिए कमीना बनना ही पड़ता है. जिन लड़कियों को रिएलिटी शो पसंद नहीं, उनमें ऐसा मानने वाली सिर्फ 18 फीसदी हैं.
रिएलिटी शो पसंद करने वाली 65 फीसदी लड़कियों ने कहा कि ऐसे शो उन्हें नए विचारों और नजरियों से परिचित कराते हैं. लगभग इतनी ही लड़कियों ने माना कि इन प्रोग्रामों से सामाजिक मुद्दों के प्रति उनकी जागरूकता बढ़ी है और उन्हें नई चीजें सीखने को मिली हैं.
सैलमंड की टीम ने कुछ समय पहले लड़कियों पर फैशन और सोशल नेटवर्किंग के असर पर भी रिसर्च की है.
रिपोर्टः एएफपी/वी कुमार
संपानः ए कुमार