लता के साथ गाने की तमन्ना अधूरीः गुलाम अली
२२ नवम्बर २०१०"अगर इस तरह का मौका दोबारा आए, तो मैं अल्लाह का शुक्रगुजार रहूंगा." इन शब्दों से गुलाम अली ने रिपोर्टरों के सामने अपने दिन की बात कह दी. इंदौर में पहुंचे पाकिस्तानी गजल गायक एक खास कार्यक्रम में लोगों के सामने अपना हुनर पेश कर रहे थे. उन्होंने लता के साथ साथ आशा भौंसले की गायकी की भी तारीफ की और कहा कि लता के गाने का अंदाज अद्भुत है.
उन्होंने कहा कि वह हिंदी फिल्मों में गाने गाते हैं, लेकिन वह वास्तव में फिल्मी गायक नहीं हैं. उनके मुताबिक. "मैं गजल गायकी पर निर्भर हूं जो फिल्मों पर निर्भर नहीं है." उर्दू भाषा को लेकर अफसोस जताते हुए वह कहते हैं कि भाषा की विविधता को बचाने के लिए कुछ ठोस कदम जरूरी हैं. भारत और पाकिस्तान में अलग अलग मुद्दों पर मतभेद को लेकर उनका मानना है कि यह सब 'बड़ी ताकतों' का खेल है और जनता को इन सबके के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए.
गुलाम अली ने पहली बार 1982 में निकाह के साथ हिंदी फिल्मों में शुरुआत की. फिल्म में उनकी गाई गजल 'चुपके चुपके रात दिन' सुपरहिट रही. इसके अलावा उनकी दूसरी गजलें, 'यह दिल, यह पागल दिल मेरा' और 'हंगामा है क्यों बरपा' भी भारत में बहुत मशहूर हैं.
रिपोर्टः पीटीआई/एमजी
संपादनः ए कुमार