लीबिया संकट से तेल के दाम चढ़े
२२ फ़रवरी २०११लीबिया के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि देश में विरोध प्रदर्शनों के पीछे अपराधी युवकों का हाथ है और इन्हें अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों से सहायता मिल रही है. मंत्रालय के बयान में लिखा है, "इन हालात में नागरिकों पर आतंक हो रहा है, व्यापार में रुकावट आ रही है, व्यापारी और उपभोक्ता डरे हुए हैं और स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सेवाएं बंद हो रही हैं. सेना के गोदामों को लूटकर कुछ युवकों को हथियार मिले हैं. यह मुजरिम हैं...उन्हें (सेना कमान) को कहा गया था कि वे सुरक्षा बलों की मदद करें और देश से इन आतंकी गुटों को बाहर करें." मंत्रालय का कहना है कि अल कायदा और दूसरे विदेशी गुट इन युवकों का फायदा उठा रहे हैं.
इस बीच जर्मनी ने कहा है कि अगर लीबिया में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई जारी रही तो देश पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे. जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टेरवेले मिस्र की यात्रा करने वाले हैं जहां वे अंतरिम सरकार से बात करेंगे. हाल ही में तीखे प्रदर्शनों के बाद मिस्र में भी हुस्नी मुबारक को सत्ता छोड़नी पड़ी. जर्मन सरकार गद्दाफी के परिवार पर यात्रा प्रतिबंध और देश के विदेशी संपत्ति को जब्त करने पर सोच रही है. वैसे लीबिया जर्मनी को तेल बेचने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है.
फ्रांस, यूक्रेन और ग्रीस ने लीबिया से अपने नागरिकों को बाहर निकालने के लिए हवाई जहाज भेज दिए हैं. लीबिया में विरोध प्रदर्शनों में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. भारत भी लीबिया में अपने नागरिकों की स्थिति को लेकर चिंतित है. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वाच का कहना है कि लीबिया में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों की झड़प में रविवार से ही 62 लोग मारे गए हैं. 41 साल से सत्ता में कायम गद्दाफी के खिलाफ पिछले हफ्ते शुरू हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं.
लीबिया संकट की वजह से दुनिया के कई देशों में तेल के दाम प्रति बैरल लगभग 93 डॉलर तक पहुंच गए हैं. स्पेन की तेल कंपनी रेपसॉल ने लीबिया में काम बंद कर दिया है और मंगलवार को देश के सारे तेल बंदरगाह बंद रहे. इटली में इसका असर दिखने लगा है और वहां के एक बिजलीघर में काम ठप्प है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी
संपादनः ए कुमार