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वर्षावनों की कटाई पर उपग्रह से निगरानी

Priya Esselborn१४ नवम्बर २०११

ब्राजील अमेजन में अवैध रूप से जंगलों की कटाई पर उपग्रह के जरिए पिछले 23 साल से निगाह रख रहा है. अब उसकी इस खास तकनीक में जंगलों के लुप्त होने की समस्या से जूझ रहे दूसरे देशों की भी दिलचस्पी जागी है.

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तस्वीर: AP

दो दशकों से भी ज्यादा समय से ब्राजील उपग्रह से मिली तस्वीरों का इस्तेमाल वर्षावनों की निगरानी में कर रहा है. दुनियाभर में निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों का पांचवां हिस्सा जंगलों की कटाई से निकलता है और पर्यावरण में बदलाव की एक बड़ी वजह बनता है. ऐसे में इस निगरानी की कितनी अहमियत है, यह समझा जा सकता है.

Amazonas Wald
तस्वीर: picture alliance/WILDLIFE

जंगलों को बचाने के लिए अधिक वर्षावन वाले ब्राजील, इंडोनेशिया और कॉन्गो जैसे देशों पर काफी दबाव है. ब्राजील के पास डिजिटल तकनीक से निगरानी करने में दक्षता है. यहां 1988 में नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च, आईएनपीई ने दुनिया का पहला वर्षावन निगरानी तंत्र स्थापित किया था. इसे टेरा अमेजन के नाम से जाना जाता है.

अमेजन पर आईएनपीई के साथ काम करने वाली अलेसांद्रा गोम्स ने डॉयचे वेले से कहा, "हमारे पास एक तरीका है जो स्थापित, परिपक्व और दूसरे देशों को निर्यात करने लायक है. हमारा लक्ष्य वर्षावनों की निगरानी के लिए मजबूत तंत्र की तलाश में जुटे दूसरे देशों को इस योग्य बनाना है."

इस पहल में कई अंतरराष्ट्रीय सहयोगी भी जुड़े हैं. इनमें संयुक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि संगठन यानी एफएओ, अमेजन कॉपरेशन ट्रीटी संगठन और जापान की अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी भी शामिल है. ब्राजील की सरकार के साथ मिल कर इन संगठनों ने एक खास ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया है जो मेक्सिको, गेबॉन, गुयाना, कॉन्गो, पापुआ न्यू गिनी और वियतनाम जैसे देशों को ब्राजील जैसा निगरानी तंत्र बनाने में मदद देती है. एफएओ से जुड़ी इंगे जोनखीरे बताती हैं कि यह तंत्र पूरी तरह से कारगर, वैज्ञानिक और ठोस है साथ ही अंतरराष्ट्रीय रूप से अनुकूल है. जॉनखीरे कहती हैं, "कई देश इसे अच्छे उदाहरण के रूप में देखते हैं और अपने लिहाज से इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं." उनके मुताबिक अलग अलग देशों की जरूरत के हिसाब से इसे बदला जा सकता है.

Entwaldung in Brasilien
तस्वीर: AP

अमेजन से बाहर

छह अंतरराष्ट्रीय टीमों को पहले ही ट्रेनिंग दी जा चुकी है. वेनेजुएला, बोलीविया, पेरू, कोलंबिया और इक्वाडोर इसी महीने बेलेम में अमेजन नदी के उत्तरपूर्वी किनारे पर हुई ट्रेनिंग में शामिल हुए. अफ्रीकी देश में इसमें शामिल हो रहे हैं. दुनिया में दूसरे सबसे बड़े वर्षावन वाले डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के अलावा मोजाम्बिक और अंगोला ने भी अपनी टीमें ब्राजील भेजी हैं. इन लोगों को उपग्रह से चित्रों को डाउलोड कर के उन्हें साफ तस्वीरों में बदलना सिखाया जाता है ताकि पता चल सके कि कहां कटाई चल रही है. जोनखीरे ने डॉयचे वेले से कहा, "लक्ष्य यह है कि दूसरे देशों को जंगलों की कटाई के बारे में पता लगाने और उनके अपने इलाकों में कार्बन के भंडार को खत्म करने से रोकने के काम में लगाया जाए."

कार्बन क्रेडिट

यह तकनीक बहुत आकर्षक है. जॉनखीरे बताते हैं कि इससे देशों को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण बातचीत में अपने हितों के बारे में बात करने का बेहतर मौका मिलता है. 2010 में मेक्सिको के पर्यावण सम्मेलन में तय हुआ था कि देशों को जंगलों की कटाई से होने वाले ग्रीनहाउस गैसों में कटौती करने का फायदा मिलेगा. इसके लिए एक खास कार्यक्रम भी जिसका नाम है रिड्यूसिंग एमिशंस फ्रॉम डिफोरेस्टेशन एंड फोरेस्ट डिग्रेडेशन यानी आरईडीडी. हालांकि जंगलों को बचाने के एवज में मिलने वाली क्रेडिट के लिए उन्हें पूरे आंकड़े पेश करने पड़ते हैं. आंकड़ें ऐसे हों जिनकी स्वतंत्र रूप से जांच की जा सके. जोनखीरे कहती हैं, "दो रास्ते हैं या तो वो जीरो से शुरू कर अपने लिए नया सिस्टम बना सकते हैं या फिर पहले से मौजूद तंत्र को अपना सकते हैं. इसमें ब्राजील मदद करने को तैयार है."

छोटे और बड़े कार्यक्रम

टेरा अमेजन उत्तर अमेरिकी लैंडसैट से तस्वीरें जमा करके उन्हें आगे इस्तेमाल करता है. इससे वैज्ञानिकों को उस जगह का नक्शा और आंकड़ा मिल जाता है जहां जंगलों की कटाई हो रही हो. डिजिटल युग का यह तंत्र कई चीजों से मिल कर बना है. इसमें प्रोड्स होते हैं जो सालाना रूप से जंगलों की कटाई की प्रक्रिया पर नजर रखते हैं जबकि डेटर तुरंत माप तौल कर के आंकड़े मुख्य स्टेशन को भेज देता है.

ब्राजील की पर्यावरण एजेंसी को 15 दिन के भीतर आंकड़े मिल जाते हैं और फिर यह उन इलाकों का दौरा कर जरूरी कदम उठा लेती है. ग्रीनपीस के एंद्रे मुगियाती इस तंत्र को अगुआ मानते हैं. डॉयचे वेले से उन्होंने कहा, "अमेजन इलाके में नीतियों में हुए सुधार या गिरावट को मापने का यह बुनियादी पैमाना है. उपग्रह से निगरानी रखे बगैर यह जानना मुमकिन नहीं कि क्या हो रहा है."

रिपोर्टः नादिया पोन्टेस/ एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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